बसपा ने तीसरी बार जीती मेरठ महापौर की सीट
मेरठ, 01 दिसम्बर (हि.स.)। मेरठ नगर निगम के महापौर की प्रतिष्ठित सीट पर बसपा प्रत्याशी सुनीता वर्मा ने भाजपा की कांता कर्दम को करारी शिकस्त देकर जीत हासिल की। नगर निगम बनने के तीसरी बार बसपा ने महापौर पद पर जीत हासिल की।
हस्तिनापुर के पूर्व विधायक रहे योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा ने बसपा प्रत्याशी के रूप में भाजपा की कांता कर्दम को हराया। बसपा समर्थकों ने नारेबाजी करते हुए कार्यकर्ताओं को जीत की बधाई दी। इससे पहले दो बार महापौर पद पर बसपा का हाथी चिंघाड़ चुका है। सबसे पहले 1995 में अय्यूब अंसारी और 2000 में शाहिद अखलाक ने बसपा प्रत्याशी के रूप में महापौर बनने में कामयाबी हासिल की थी। इसके बाद बसपा ने अपने सिंबल पर प्रत्याशी नहीं उतारे तो 2006 और 2012 में भाजपा के महापौर बनने में कामयाब रहे।
मिथक कायम रहा, पहले पति और पत्नी से हारीं कांता कर्दम
इस जीत के साथ ही पूर्व विधायक योगेश वर्मा ने कांता कर्दम को दूसरी बार शिकस्त देते हुए मैदान से बाहर कर दिया। कांता कर्दम इससे पहले 2007 में योगेश वर्मा से हस्तिनापुर विधानसभा चुनाव में हार चुकी हैं और इस बार योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा से निगम चुनाव में हार गईं।
गुटबाजी पड़ी भारी, सांसद से विधायक तक फिर भी हारे
बसपा की जीत के बाद मेरठ में भाजपा में आपसी गुटबाजी और टिकट बंटवारे में गड़बड़ी पुख्ता हो गई है। भाजपा में महापौर से पार्षद तक हुए टिकट बंटवारे से कार्यकर्ता खुश नहीं थे। पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी, सांसद राजेंद्र अग्रवाल, विधायक सोमेंद्र तोमर एवं कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल के बावजूद मेरठ में मेयर सीट पर पार्टी जीत नहीं दर्ज कर सकी।
सत्ता के उलट महापौर का मिथक कायम
मेरठ में अभी तक जितने भी महापौर के चुनाव हुए हैं, उनमें प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी चुनाव जीतने में नाकाम रही है। बसपा ने पहले दो बार महापौर पद पर जीत हासिल की थी तो उस समय प्रदेश में सपा और भाजपा की सरकार थी। इसके बाद बसपा और सपा की सरकार प्रदेश में आई तो भाजपा ने दोनों बार जीत हासिल की। अब भाजपा की प्रदेश में सरकार बनने पर महापौर पद पर बसपा प्रत्याशी को जीत हासिल हुई।
हार से पहले ही मतगणना स्थल से गायब हुए भाजपाई
मेरठ नगर निगम महापौर का रूझान बसपा के पक्ष में आते देख मतगणना स्थल परतापुर कताई मिल से भाजपाई गायब हो गए। शहर में भाजपाइयों की लंबी फौज होने के बावजूद यहां कोई दिग्गज नेता नहीं दिखाई दिया। अकेली महापौर पद की प्रत्याशी कांता कर्दम कुछ समर्थकों के साथ जरूर नजर आईं। जीत का अहसास होते ही बसपाइयों ने मतगणना स्थल पर ही ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न शुरू कर दिया। दोपहर बाद में भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल और दो विधायक पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। भाजपाइयों को सुबह से ही अपनी हार दिखनी शुरू हो गई थी, जिसकी वजह से उन्होंने मतगणना स्थल पर मौजूद रहने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। इस हार से भाजपा कार्यकर्ताओं को गहरा धक्का लगा है।