फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रान से रविवार को मुलाकात करेंगे राहुल गांधी
नई दिल्ली (ईएमएस)। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रान से उनकी चार दिवसीय भारत यात्रा के दौरान मुलाकात करेंगे। राहुल के विदेश दौरे से लौटने के बाद रविवार को यह मुलाकात होगी। कांग्रेस ने बताया कि इस मुलाकात के दौरान राफेल करार का मुद्दा नहीं उठाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से किए गए राफेल करार के मुद्दे पर कांग्रेस लगातार मोदी पर हमलावर रही है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष से भारत के रक्षा करार की चर्चा नहीं करेगी। यह हमारा अंदरूनी मामला है और इस मुद्दे पर सरकार को फ्रांस से बात करनी है, कांग्रेस को नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी सरकार से जवाब मांग रहे हैं, फ्रांस की सरकार से नहीं।’’ राफेल करार की ओर इशारा करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि जब कोई कुछ खरीदने जाता है तो खरीददार को सुनिश्चित करना होता है कि प्रोडक्ट अच्छा है या नहीं, क्योंकि बेचने वाला तो हमेशा कहेगा कि उसका प्रोडक्ट अच्छा है। खरीदार को अपनी जेब का ख्याल रखते हुए फैसला करना होता है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘सरकार को सुनिश्चित करना है कि उसके धन की बर्बादी न हो और कम पैसे में बेहतरीन सौदा हो। सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए।’’ कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया, ‘‘यह श्रीमान मैक्रान की नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की जिम्मेदारी है और उस पर वे नाकाम हुए हैं।’’
राफेल करार के मुद्दे पर कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर हमले बोलती रही है और विमान की कीमत के मुद्दे पर उससे जवाब मांगती रही है। कांग्रेस ने ताज़ा आरोप लगाया कि राफेल लड़ाकू विमानों की फ्रांसीसी निर्माता कंपनी दशॉ एविएशन से विमान खरीद कर मोदी सरकार ने सरकारी खजाने को 12,612 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया है। पार्टी ने आरोप लगाया कि कंपनी ने 11 महीने पहले कतर और मिस्र को जिस कीमत पर विमान बेचे भारत से उससे हर विमान के लिए 351 करोड़ ज़्यादा लिए। फ्रांस सरकार के साथ हुए समझौते में ‘गोपनीयता के प्रावधान’ के कारण सरकार राफेल विमानों की खरीद की कीमत बताने से इनकार कर रही है। सुरजेवाला ने कहा कि यदि किसी देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री भारत आते हैं तो ‘वह हमारे मेहमान हैं और सरकार और विपक्ष के बीच कोई मतभेद नहीं होते।’ उन्होंने कहा कि राष्टाध्यक्ष औपचारिक तौर पर विपक्षी नेताओं से मिलते हैं, जैसे वे पहले सुषमा स्वराज और अरुण जेटली से मुलाकात करते थे।