पीएम और अमित शाह ने शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती के निधन पर जताया शोक
नई दिल्ली, 28 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने कांची कामकोटि के जगदगुरु पूज्यश्री जयेन्द्र सरस्वती शंकराचार्य के निधन पर गहरा शोक जताया है ।
प्रधानमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि वह अपने सामाजिक, धार्मिक गतिविधियों को लेकर लाखों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र थे। श्री मोदी ने ट्वीट कर अपना शोक प्रकट करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि पूज्यश्री जयेन्द्र सरस्वती शंकराचार्य ने गरीब और समाज के निचले तबकों के उत्थान के लिए कई संस्थानों की स्थापना की।
Deeply anguished by the passing away of Acharya of Sri Kanchi Kamakoti Peetam Jagadguru Pujyashri Jayendra Saraswathi Shankaracharya. He will live on in the hearts and minds of lakhs of devotees due to his exemplary service and noblest thoughts. Om Shanti to the departed soul. pic.twitter.com/pXqDPxS1Ki
— Narendra Modi (@narendramodi) February 28, 2018
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने ट्वीट में कहा कि पूज्यश्री जयेन्द्र सरस्वती शंकराचार्य की शिक्षा, बुद्धिमत्ता और गरीबों को शिक्षित करने के लिए किए गए कार्यों को आने वाली पीढियां याद करेंगी। वह एक आध्यात्मिक सितारे के रूप में चमकते रहेंगे। उन्होंने समाज के हित में कई कार्य किए। उनके अनुयायियों के प्रति मेरी गहरी शोक संवेदना है।
विहिप ने जताया शोक
विहिप के अंतरराष्ट्रीय महासचिव चम्पत राय ने जयेन्द्र सरस्वती के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि निधन की खबर सुनकर सभी कार्यकर्ता स्तब्ध हैं। श्री राय ने उन्हें अपना श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा है कि परिषद के कार्यों पर उनका स्नेह व आशीर्वाद अप्रतिम रहा है। 1980 के दशक में उत्तर भारत के कड़ाके की सर्दी में भी उन्होंने रिक्शा पर बैठ कर उत्तर भारत के कार्यकर्ताओं के साथ श्री राम जन्मभूमि के लिए भ्रमण कर जन-जागरण किया।
उन्होंने सदैव सबको जोड़ने के कार्य में अपनी शक्ति लगाई। सामाजिक विषयों पर उनका चिंतन सबसे अलग हट कर केवल मनुष्य केन्द्रित यानि, मानव मात्र की भलाई के लिए ही था। ‘सर्वेषां अविरोधेन’, यही उनका स्वभाव था। उन्होंने देशभर में जो सेवा-कार्य प्रारम्भ किए, वे सबके लिए अनुकरणीय हैं।
विहिप महासचिव ने कहा है कि हम सब श्रद्धापूर्वक अपना मस्तक नमन करते हैं तथा आश्रम वासियों व भक्तों को हुए इस अपार दुःख में भी हम सहभागी हैं।