पालघर में नगर परिषद का स्वच्छता अभियान दिखावा , टूटे फूटे शौचालयो और फैली गंदगी ने खोली पोल
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संजय सिंह ठाकुर,28 दिसम्बर (palghar ) : मुंबई से सटे पालघर जिला के पालघर में नगर परिषद द्वारा चलाये जा रहे स्वच्छता अभियान का नगर परिषद वार्ड में बने शौचालयो की दुर्दशा व टूटे फूटी दरवाजे और सभी वार्ड में जगह फैले गंदगी के साम्राज्य ने पोल खोल कर रख दिया है .जिसे देखते हुए नगर परिषद का यह अभियान केवल दिखावा साबित हो रहा है .
यह है स्वच्छ पालघर #@ सुन्दर पालघर @# स्मार्ट पालघर जहा प्रधानमंत्री मोदी जी की स्वच्छता अभियान तोड़ देती है दम …
बता दे कि मोदी जी प्रधान मंत्री बनते ही पूरे देश मे स्वच्छता को लेकर एक अभियान चला रहे है .लेकिन स्वच्छता को लेकर पालघर नगर परिषद की नींद अभी खुली है . नींद खुलती भी क्यो नही जो ऊपर से फरमान आया है की लोगो के मोबाइल फोन में स्वच्छता अभियान के लिए सरकार द्वारा बनाए गए मोबाइल आप्लिकेशन को लोड करवाकर कर उन्हें जानकारी दो की अगर आप के क्षेत्र में कही गंदगी है कचरा फैला है या शौचालय टूटे फूटे है या साफ सुथरे नही है तो उस फ़ोटो को आप सरकार द्वारा बनाये गए मोबाइल एप्लीकेशन में लोड करके भेज दो .उसके कुछ घंटे बाद उस पर कार्यवाई हो जाएगी और आप का एरिया साफ सुथरा हो जाएगा शौचालय ठीक हो जाएंगे .
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जिसके बाद पालघर नगर परिषद नुक्कड़ -नुक्कड़ चौराहे -चौराहे पर चिल्ला- चिल्ला कर लोगो को स्वच्छता का उपदेश दे रही है कि जहाँ स्वच्छता रहती है वही परमेश्वर बसते है .और नगर परिषद लोगो के मोबाईल में यह अप्लिकेशन लोड करवाते नजर आरहे है .लेकिन एप्लीकेशन के माध्यम से स्वच्छता को लेकर मिल रही शिकायते अब नगर परिषद का सरदर्द बनते जा रही है जिसका नगर परिषद प्रशासन को एहसास नहीं था .
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कचरा उठाने के ठेके की कीमत 6 लाख से बढ़ हुयी 18 लाख महीने .
वही जानकारों की माने तो उनका कहना है कि 2015 में करीब इतना ही कचरा उठाने के लिए पालघर नगर परिषद ॐ साई ….ठेकेदार को हर महीने करीब 6 लाख रुपये देती थी .और उस समय नगर परिषद क्षेत्र में निकलने वाले डेली कचरा को उठाने के लिए 3 डंपर ,टैक्टर,और ट्रॉली सिस्टम की करीब 32 थ्रिविलर सायकल थी. और 56 आदमी काम करते थे. लेकिन 2016 से इसी कचरे को उठाने के लिए इस ठेके को बढ़ा कर दुसरे ठेकेदार दिनेश बी संखे को करीब 18 लाख रुपये महीने दिया जारहा है . और अभी कचरा उठाने के लिए केवल एक डंपर ,16 घन्टा गाड़ी है .जिस पर 50 कामगार ,3 सुपरवाइजर काम करते है .
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ठेके में हुई धांधली को देखए जिसे लेकर यह सवाल उठते है कि चंद महीनों में इस ठेके की कीमत तीन गुनी कैसे बढ गयी और इन दो ठेके की बीच के फर्क का मलाई कौन कौन कहा रहा है. इसकी हाई स्तरी जांच करके मलाई खाने वालों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाई करनी चाहिए ताकि जनता और सरकार के पैसे का सही उपयोग हो.
> @ इस अभियान को पूरे 3 साल हो गए हैं. इन दौरान करोड़ों शौचालय बनें, लोगों ने सफाई के महत्व को समझा और लोगो को गंदगी से मुक्ति भी मिली.केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ही स्वच्छता अभियान की बड़ी मुहिम चला रहे हैं. लेकिन पालघर नगर परिषद की गैर जिम्मेदाराना हरकत के कारण वार्डो में पहुंचते ही नगर परिषद के स्वच्छता अभियान की कलई खुल जाती है।
कई इलाको में कूड़े और गंदगी का कब्जा है। कही नाली का पानी रास्ते पर बहता है तो कही मच्छरो को मारनेवाली दवाई का छिटकाव नही होता. मोहल्लों में झाड़ू बड़ी मुश्किल से लगती है। लाखो रुपये का प्रयवेट टेंडर देने के बावजूद सफाई कर्मियों की संख्या बहुत कम है। इसके कारण कुछ ही हिस्सों में रोज सफाई होती है।हमारे पास जो शिकायते आती है अगर उसे देखे तो लोगो का कहना है की अगर अधिकारीयों और कर्मचारियों के कोई शिकायत करो तो उनके कान में जूं तक नहीं रेंगती। अगर इस अभियान को नगर परिषद गंभीरता से लेती तो शायद पालघर शहर स्वच्छता में नंबर एक होता।
पूर्व जिला उपाध्यक्ष लक्ष्मी देवी हजारी ,पालघर बीजेपी
>@ पालघर नगर परिषद में देखा जाय तो काफी सालो से पूर्ण बहुमत से शिवसेना की सत्ता है. लेकिन विकास काम में फिसड्डी है . जब केंद्र और राज्य में बीजेपी की सत्ता में आई तभी प्रधान मंत्री मोदी जी के भाषण सुनकर हमें काफी उम्मीदे जागी थी खासकर कर जब उन्हों ने कहा कि मैं ना खाऊ गा न खाने दूंगा .लेकिन जिस प्रकार यहा भ्रष्टाचार हो रहे है उसे देखने के बाद अब ऐसा लगता है की मोदी जी के यह भाषण ,भाषण तक सीमित रह गए और कांग्रेस के जमाने से ज्यादा बीजेपी के शासन काल मे भ्रष्टाचार बढ़ गया .जिसे देख कर अब बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि बीजेपी के कथनी और करनी में बहुत फर्क है . बीजेपी के नेताओ के भाषण अब केवल सुनने के लिए अच्छे लगते है .इन भाषणों का जमीनी हकीकत सीधा उल्टा है .खास बात यह है की पालघर से ही चिंतामण वनगा बीजेपी के सांसद है और पालघर के विष्णु सावरा कैबनेट आदिवासी विकास मंत्री व पालघर जिला के पालक मंत्री है .लेकिन यह लोग भी निष्क्रिय माने जाते है इनका भी पालघर में कुछ फायदा नहीं.
सतीश दही वाले -अध्यक्ष –पालघर नागरी कृति समिति
>@ पालघर नगर परिषद की स्थापना हुए करीब 20 साल हो गए. लेकिन विकास काम नाम मात्र के हुए है .स्वच्छता के नाम पर हर साल नगर परिषद करोडो रूपये खर्च करती है .अगर इसका सबसे ज्यादा फायदा किसी को होता है तो वह कुछ नगर सेवक और ठेकेदार है .जिसके कारण जिस वार्ड में देखो वहा बने शौचालय के दरवाजे टूटे फूटे है शौचालय में गंदगी फैली है ,महीनो तक कचरा फैला रहता है .नालो की साफ सफाई नहीं होती जिसके कारण नालो में कचरा सड़ते रहता है .जिसके कारण तरह तरह की बिमारिय फैलने का डर बना रहता है साथ ही उससे निकलने वाले बदबू जीना मोहाल कर देते है .
पूर्वनगर सेवक – अरुण माने –पालघर नगर परिषद
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