पालघर में उत्तर भारतीयों के घर पर तहसीलदार ने चलवाया बुलडोजर ! बीजेपी के मुख्यमंत्री के दावे खोखले ?
palghar 6 मार्च – आर. मिश्रा := पालघर में सोमवार को पालघर के तहसीलदार महेश सागर ने सैकड़ो उत्तर भारतीयों व अन्य समाज के लोगो के घरों पर बुलडोजर चलवा कर उन्हें तोड़ दिया. यह सभी लोग पिछले करीब 30 साल से अपने परिवार के साथ इन घरो में रहते थे.
पालघर विडको नाका पर स्तिथ एक जमीन की हिस्से पर क़रीब सैकड़ो उत्तर भारतीय व अन्य कुछ समाज के लोग 30 साल से घर बनाकर रहते थे , लेकिन रविवार को पालघर के तहसीलदार ने उनको अचानक नोटिस देकर सभी घर को खाली करने के लिए आदेश दिया और सोमवार को सुबह – सुबह ही पुलिस दल बल के साथ पहुँचकर उनके घरों पर बुलडोजर चलवा कर तोड़ दिया .
30 साल से रहते थे यह परिवार ?
वही भुक्तभोगियो का कहना है कि हम लोग पिछले तीस साल से यंहा रहते है , और इस जगह पर बने हमारे घरो का 1995 के पहले का घरपट्टी, बिजली बिल जैसे सभी कागजात है .लेकिन तहसीदार ने हमारी एक भी नहीं सुनी और हमारे सर से हमारा छत छीन लिया .
उत्तर भारतीयों का हमदर्द बनने वाले बीजेपी के नेता और मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के दावे खोखले ?
एक तरफ सरकार बोलती है 1995 तक के बने सभी घरो को हमने कानूनी मान्यता दिया है, लेकिन तहसीलदार का कहना है कि ऐसा कोई नियम नहीं है , बीजेपी के नेता और मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस खुद को उत्तर भारतीयों का हमदर्द और मशीहा बताते है कहते है की अगर उनके साथ कोई अन्याय हुआ तो बीजेपी उसे बर्दास्त नहीं करेगी वही दूसरी तरफ उनके अधिकरी हमारे घरो पर बुलडोजर चलाकर तोड़ते है . कभी कोई बीजेपी का बिधायक ,मंत्री या नेता हमारे घरो को बचाने के लिए नहीं आता इससे हम क्या अंदाजा लगाये .
पालघर जिला के एक बाहुबली नेता ने खरीदी है यह जमींन ?
कुछ लोगों का तो यंहा तक कहना है कि इस जमीन को पालघर जिला के एक नेता ने खरीद लिया है और कुछ महिना पहले हमारे घरो के पीछे खाली पड़ी जमीनों पर बड़े पैमाने पर मिट्टी डाल कर उसकी भरनी भी कराई गई है. लेकिन जब जमीन की भरनी हो रही थी तो, उस समय यह सब अधिकारी कहां थे. जो अभी इन जमीनों को सरकारी जमीन बता कर जो तोड़ रहे हैं. यह उनका एक बहाना है इस जमीन को वह खाली कराकर उस नेता के हवाले करना चाहते हैं , जबकि देखा जाए तोपालघर तहसील में बड़े पैमाने पर सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण है बिल्डिंगे
बनी हुई है और आज भी जोरों से शुरू है. लेकिन वह अतिक्रमण पालघर के तहसीलदार ,और कलेक्टर को नहीं दिखाई देता. यह लोग केवल उन्हीं घरों व बस्तियों को अपना टारगेट बनाते हैं जिन घरों में या जिन जगहों पर उत्तर भारतीय बसे हैं क्योंकि यह लोग बदले की भावना से काम कर रहे हैं.
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