पालघर जिला -जहाज की तरह उड़ती वाली बनी मछली कौतुहल का विषय
पालघर : पालघर जिला के वाढवन में प्रमोद जनार्दन दळवी नामक मछुवारे की जाल में फसी जहाज की तरह उड़ती वाली यह फ्लाईंग मछली अब लोगो के कौतुहल का विषय बनी हुई है .
पालघर जिले में अरब सागर के किनारे बसे मछुवारे अरब सागर में बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने का व्यवसाय करते है .कभी कभी लाटरी की तरह उनके जाल ऐसी भी मछलिया फस जाती है जिन मछलियों के बारे में लोगो ने केवल कहानिया सुनी है .और जब यह कहानिया साकार होती है तो लोग इसे आश्चर्य की नजर से देखते है .
बताया जा रहा की वाढवन गांव के रहने वाले प्रमोद जनार्दन दळवी ने मछली पकड़ने के लिए प्रति दिन की तरह रविवार को भी अरब सागर में जाल लगाया था .और जब उन्हों ने पानी से जाल निकाला तो जाल में फसी मछलियों में एक मछली पर जब उनकी नजर पड़ी तो वह देख कर वह हैरान रह गए .और जब उन्हों ने इस उड़ने वाली मछली के बारे में लोगो को बताया तो उसे देखने लिए इकट्ठा होने लगे और यह मछली लोगो में कौतूहल का विषय बन गई .
जहाज की तरह पानी के ऊपर उड़ती है यह मछली
आप ने हवा में उड़ने वाली और पानी में चलने वाली कार के निर्माण के बारे में सुना होगा .जो पानी ,हवा और जमीन तीनो जगह यात्रा करा सकेगी .यह सुनकर आप को आश्चर्य भी हुवा होगा .
उसी तरह करोडो सालो से समुंद्र में ऐसी मछली है भी मौजूद है जो पानी में तैर भी सकती है और पानी की सतह से करीब 20 फिट ऊपर और करीब 1300 फिट तक उड़ान भर लेती है।इसे प्रकृति का चमत्कार ही कहेंगे न! इस मछली को फ्लाइंग फिश कहा जाता है, यानी उड़ने वाली मछली।
उड़ने वाली मछलियों की है 40 प्रजातियां
महासागरों में रहने वाली यह मछलिया एक रफ्तार से पानी की गहराई से पानी के तल तक पहुंचती है, फिर कुछ दूर तक पानी की सतह पर दौड़ती है और फिर हवा में उड़ान भर देती है। बताया जाता है की यह करतब करने वाली कोई एक मछली नहीं, बल्कि समुद्र में उड़ने वाली ऐसी मछलियों की 40 प्रजातियां हैं।
वैज्ञानिकों ने हवाई जहाज का आविष्कार सौ-डेढ़ सौ साल पहले किया था, लेकिन यह मछली 6 करोड़ 60 लाख साल पहले से पानी में गोते लगा रही है और हवा में उड़ान भर रही है। यह आकार में तो छोटी है, लेकिन होती है बेहद फुर्तीली। वैसे इसका आकार लगभग 12 इंच का होता है, लेकिन 20 इंच तक की उड़ने वाली मछली भी देखी गई है।
इसका वजन लगभग एक किलोग्राम होता है। इसके पंख का आकार इसकी लंबाई से बड़ा होता है और पंखों की संख्या भी अधिक होती है। यह छोटी मछलियों, पौधों व बैक्टीरिया को अपना भोजन बनाती है और अंडे देने के लिए समुद्र किनारे घास-पात या मलबे के ढेर के आस पास आ जाती है।
तुमने टूना, स्वॉर्डफिश, मार्लिन आदि मछलियों का नाम तो सुना ही होगा, इनसे फ्लाइंग फिश को खतरा रहता है। वैसे जापान, वियतनाम, चीन आदि देशों में इसका शिकार किया जाता है। प्रशांत महासागर के पश्चिम में कैरेबियन द्वीप पर एक देश है बारबाडोस। उड़ने वाली मछली वहां की राष्ट्रीय मछली है। वहां के सिक्कों पर इस मछली की तस्वीर छपी होती है।