पवार की प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश , कहा भी न जाए और रहा भी न जाए
नई दिल्ली (ईएमएस)। एनसीपी नेता शरद पवार एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश पालने लगे हैं। मंगलवार को दिल्ली में विरोधी दल के नेताओं को वह डिनर भी दे रहे हैं। इसमें उन नेताओं के शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं, जो सोनिया की डिनर में नही आए थे। खुद शरद पवार ने कहा कि वह अपने सांसदों की संख्या जानते हैं, इसलिए प्रधानमंत्री बनने का सपना नही देखते। लेकिन पवार की बात पर शायद ही किसी को भरोसा हो, क्योंकि पूरा महाराष्ट्र और देश के पुराने राजनेता जानते हैं कि शऱद पवार जो कहते हैं, वह करते नहीं और जो करते हैं, वह बताते नहीं। सोनिया गांधी के डिनर के अगले ही दिन खुद राहुल गांधी ने भी शरद पवार से मुलाकात की थी और कहा था कि आप सबसे सीनियर हैं, आप ही विपक्ष की एकता को लीड करें। इससे पवार की उम्मीद और बढ गई। वह प्रधानमंत्री बनने का सपना लंबे समय से पाले हुए हैं।
जब राजीव गांधी के निधन के बाद कांग्रेस में संकट पैदा हुआ था, तब पवार ने प्रधानमंत्री बनने के लिए पूरा जोर लगाया था। लेकिन तब नरसिंहराव ने उनसे कुर्सी खींच ली थी। इसके बाद पवार ने अपनी पार्टी बनाई और प्रधानमंत्री बनने की खूब कोशिश की, लेकिन कभी उनके सांसद 15 से ज्यादा बढ़े ही नहीं और पवार केंन्द्रीय मंत्री की कुर्सी तक ही सीमित रहे। अब उन्हें उम्मीद है कि अगली सरकार में अगर बीजेपी की सीटें कम होती हैं तो माहौल बदल सकता है। अगर गैर बीजेपी सरकार बनती भी है तो कांग्रेस का बहुमत नही होगा। ऐसे में राहुल प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे और किसी और की लाटरी खुलेगी। जाहिर है कि पवार प्रधानमंत्री बनने की तमन्ना पूरी कर ही लेना चाहते हैं। इसमें उनके दो सहयोगी मदद कर रहे हैं। डीपी त्रिपाठी जेएनयू के अपने पुराने संबंधों का हवाला देकर प्रकाश करात और सीताराम येचुरी को पवार के साथ नाश्ता करा चुके हैं। प्रफुल्ल पटेल ने अमित मित्रा के जरिए ममता को मनाया और पवार के डिनर में बुला लिया। दक्षिण में केसीआर और चंद्रबाबू नायडू के पवार के साथ ठीक रिश्ते हैं।
नवीन पटनायक भी पवार को मानते हैं। प्रफुल्ल पटेल कह रहे हैं कि 50 साल से ज्यादा का राजनीतिक और सामाजिक अनुभव रखने वाले शरद पवार प्रधानमंत्री पद के लिए बेहतर नेता हैं। पवार को कृषि से लेकर प्रशासन और रक्षा से लेकर क्रिकेट तक का अनुभव है। बस पवार की मुशिकल यही है कि वह खुद कब पलट जाएंगे, यह कोई नही जानता और कांग्रेस कभी पवार के नाम पर तैयार नही होगी।