पपीते की खेती किसानों के लिए हो सकती है लाभकारी
लखनऊ, 24 नवम्बर(हि.स.)। पपीते की खेती किसानों के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकती है। पपीता में कई पाचक इन्जाइम भी पाये जाते हैं तथा इसके ताजे फलों को सेवन करने से लम्बी कब्जियत की बीमारी भी दूर की जा सकती है।
पपीते की अच्छी खेती गर्म नमी युक्त जलवायु में की जाती है। इसे अधिकतम 38 डिग्री सेल्सियस 44 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होने पर उगाया जा सकता है, न्यूनतम 5 डिग्री सेल्सियस से कम नहीं होना चाहिए लू तथा पाले से पपीते को बहुत नुकसान होता है। इनसे बचने के लिए खेत के उत्तरी पश्चिम में हवा रोधक वृक्ष लगाना चाहिए।
जमीन उपजाऊ हो तथा जिसमें जल निकास अच्छा हो तो पपीते की खेती उत्तम होती है, जिस खेत में पानी भरा हो उस खेत में पपीता बिलकुल नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि पानी भरे रहने से पौधे में कॉलर रॉट बीमारी लगने की सम्भावना रहती है, अधिक गहरी मिट्टी में भी पपीते की खेती नही करना चाहिए।
उचित जल निकास वाली जीवांश से भरपूर दोमट व बलुई दोमट भूमि पपीते के लिए बढ़िया रहती है। पपीते के लिए शुष्क व अर्धशुष्क क्षेत्र व पाला रहित, सेम रहित क्षेत्र काश्त उपयोगी है। पपीता में पौधे से पौधे व कतार से कतार का फासला डेढ़ मीटर रखने पर 1742 तथा दो मीटर पर 105 पौधे प्रति एकड़ लगते हैं। मधु कुर्म, हनी, पूसा डिलीशियस, पूसा डवाफे, पूसा नन्हा, सीओ-7 प्रमुख पारंपरिक किस्में हैं। इसके अलावा सूर्या, मयूरी, प्लैस्ड प्रमुख संकर किस्में हैं।
पपीते के पौधे बीज द्वारा तैयार किए जाते हैं। एक एकड़ में पौधे रोपण के लिए 40 वर्ग मीटर पौध क्षेत्र व 125 ग्राम बीज पर्याप्त रहता है। इसके लिए एक मीटर चौड़ी व पांच मीटर लंबी क्यारियां बना लें। प्रत्येक क्यारी में खूब सड़ी गली गोबर की खाद मिलाकर व पानी लगाकर 15-20 दिन पहले छोड़ देते हैं।
गर्मियों में हर सप्ताह तथा सर्दियों में 15-20 दिन बाद सिंचाई करते रहें। पौधों के तने के पास पानी न खड़ा होने दें। पपीते में फूल आने पर ही नर व मादा पौधों की पहचान होती है तब उनमें से सारे खेत में अलग-अलग 10 प्रतिशत नर पौधे रखकर बाकि नर पौधे निकाल दें। 20 किलो गोबर खाद प्रति पौधा दें। फरवरी व अगस्त माह में 500 ग्राम मिश्रित उर्वरक एमोनियम सल्फेट, सुपर फोसफेट व पोटाशियम सल्फेट दो अनुपात चार अनुपात एक के अनुसार प्रति पौधा दें। कृषि विशेषज्ञ डा. एसके सिंह ने बताया कि पपीते स्वस्थ और किसानी दोनें दृष्टि से महत्वपूर्ण है। किसानों को इसे अच्छा मुनाफा हो सकता है।