पटना हाईकोर्ट से शहाबुद्दीन को लगा बड़ा झटका , उम्रकैद की सज़ा बरक़रार
पटना, सनाउल हक़ चंचल-
पटना : तेजाब कांड मामले में पटना हाईकोर्ट से शहाबुद्दीन को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने सीवान सिविल कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. इसका मतलब साफ है कि अब शहाबुद्दीन की सजा बरकरार रहेगी. बता दें कि बिहार के चर्चित तेजाब कांड मामले में आज बुधवार को पटना हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की याचिका पर अपना फैसला सुनाया.
बता दें कि शहाबुद्दीन फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं. उनको निचली कोर्ट द्वारा उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी. सीवान के स्पेशल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए शहाबुद्दीन के वकील ने पटना हाईकोर्ट में इस संबंध में एक याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए 30 जून 2017 को ही सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. आपतो बता दें कि इस बहुचर्चित मामले में सीवान स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश ने 11 दिसंबर 2015 को ही सजा सुनाई थी.
मालूम हो कि सीवान स्पेशल कोर्ट ने इस जघण्य हत्याकांड में मो. शहाबुद्दीन के साथ-साथ राजकुमार साह, मुन्ना मियां एवं शेख असलम को भी उम्रकैद की सजा सुनाई थी. जिसके बाद शहाबुद्दीन के पक्ष ने इस सजा के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की थी.
क्या है पूरा मामला
बात वर्ष 2004 की है. बिहार के सिवान जिले में चंद्रेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू अपनी पत्नी, बेटी और चार बेटों के साथ रहा करते थे. उनकी मुख्य बाजार में दो दुकानें थीं. एक किराने की और दूसरी परचून की. एक दुकान पर उनका बेटा सतीश बैठता था, दूसरे पर गिरीश. 16 अगस्त, 2004 का दिन इस परिवार के लिए कयामत बनकर आया. कुछ लोग चंदा बाबू से रंगदारी मांग रहे थे. मगर उन्होंने देने से इनकार कर दिया था. वही लोग उस दिन उनकी किराने की दुकान पर जा पहुंचे. दुकान पर उनका बेटा सतीश बैठा. उन लोगों ने सतीश से रंगदारी के दो लाख रुपये मांगे.
सतीश ने 30-40 हजार रुपये देने की बात कही. रंगदारी वसूलने आए लोग ज्यादा थे. उनके हाथों में हथियार थे. उन लोगों ने सतीश के साथ मारपीट शुरू कर दी. गल्ले में रखी दो लाख से ज्यादा की रकम भी निकाल ली. सतीश का बड़ा भाई भी वहां आ गया. वो भी सब देख रहा था. पिटने के बाद सतीश घर में गया और बाथरूम साफ करने वाला तेजाब एक मग में डालकर लाया. सारा तेजाब उसने रंगदारी वसूलने आए बदमाशों पर फेंक दिया. तेजाब के छीटें उसके भाई राजीव पर भी पड़े. इसके बाद वहां भगदड़ मच गई.
इसके बाद दुकान पर बदमाशों ने सतीश को पकड़ लिया. उसका भाई राजीव भागकर कहीं छिप गया. फिर उसकी दुकान को लूटा गया. उसके बाद दुकान में आग लगा दी गई. बदमाश सतीश को एक गाड़ी में डालकर अपने साथ ले गए. दूसरी दुकान पर बैठे गिरीश को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. कुछ देर बाद उसके पास भी हथियारबंद बदमाश पहुंचे और उसे भी वहां से अगवा कर लिया गया.
इसके बाद सतीश और गिरीश का बड़ा भाई राजीव भी उन बदमाशों के हत्थे चढ़ चुका था. रंगदारी न देने की वजह से उनकी दोनों दुकाने लूट ली गईं. फिर तीनों भाईयों को एक जगह ले जाया गया. जहां राजीव को रस्सी से बांध दिया गया. उसके बाद सरेआम सतीश और गिरीश के ऊपर तेजाब से भरी बाल्टी उड़ेल दी गई. बड़े भाई की आंखों के सामने सतीश और गिरीश को तेजाब से जलाकर मार डाला गया. इसके बाद उन दोनों की लाश के टुकड़े टुकड़े करके बोरे में भरकर फेंक दिए गए.