पटना, 17 जनवरी = राज्य सरकार ने पटना में एनआईटी घाट के पास गंगा नदी में हुये नाव हादसे की जांच के लिए गठित टीम से जिलाधिकारी संजय अग्रवाल को अलग कर दिया गया है। इस हादसे में 25 लोगों की मौत हो गई थी। सत्तारुढ़ महागठबंधन के प्रमुख घटक राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के विरोध के कारण पटना के डीएम संजय अग्रवाल का नाम जांच टीम से हटा दिया गया।
सूत्रों के मुताबिक लालू प्रसाद ने कहा था कि सरकारी कार्यक्रम की व्यवस्था की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती है और प्रशासनिक चूक की वजह से इतना बड़ा हादसा हुआ। ऐसे में, हादसे की जांच जिलाधिकारी को सौंपना युक्तिसंगत नहीं है और जांच भी निष्पक्ष नहीं हो सकेगी। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि लालू प्रसाद की इस मांग पर जिलाधिकारी को जांच टीम से हटा दिया गया और अब नाव हादसे की जांच दो सदस्यीय कमिटी करेगी। जिलाधिकारी को विमुक्त करने के बाद इस हादसे की जांच का काम अब पटना सेंट्रल रेंज के डीआईजी शालीन और आपदा प्रबंधन के सचिव प्रत्यय अमृत्य को सौंपा गया है। उल्लेखनीय है कि मकर संक्रांति के अवसर पटना में गंगा नदी के दियारा क्षेत्र में सरकार की ओर से पतंगबाजी का कार्यक्रम था जिसमें भाग लेने के लिए हजारों की संख्या में लोग गंगा के उस पार पहुंचे थे। वापसी की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण गंगा में नाव हादसा हो गया जिसमें 25 लोगों की मौत हो गई।
बिहार की राजधानी पटना में प्रशासनिक बदइंतजामी का पुराना इतिहास रहा है। 19 नवम्बर 2012 को छठ पर्व के दौरान गंगा नदी में शाम के अर्घ्य के बाद लौटते समय घाट पर भगदड़ के कारण 18 लोगों की मौत हुई थी। इसी तरह 03 अक्तूबर 2014 को दशहरा में पटना में रावण दहन के बाद भगदड़ मच गयी जिसमें 33 लोग मारे गए थे। इस हादसों में भी प्रशासनिक चूक सामने आई थी, लेकिन जांच के बाद कार्रवाई नहीं हुई।