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नोटबंदी के 50 दिन : हिमाचल में छोटी करंसी से जूझते लोग

शिमला, 29 दिसम्बर=  हिमाचल में नोटबंदी के 50 दिन बाद बेशक हालात सामान्य नजर आ रहे हैं। बैंकों और एटीएम के बाहर भीड़ कम हो गई है, लेकिन लोगों की मुसीबतें पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं। सबसे खराब हालात ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। ग्रामीण इलाकों के बैंकों में अभी भी नोटों की पर्याप्त सप्लाई नहीं पहुंच रही है तथा पर्याप्त करंसी न होने से लोगों को खुद का पैसा भी नहीं मिल पा रहा है।

प्रदेश की एटीएम में लोगों को सबसे अधिक परेशानी सिर्फ 2 हजार का ही नोट निकलने से हो रही है। छोटी करंसी न होने के कारण लोगों को मजबूरन 2 हजार रुपये की निकासी करनी पड़ रही है। नोटबंदी का असर कारोबार पर भी स्पष्ट देखा जा रहा है। करंसी न होने की वजह से बड़े लोगों ने जहां रोजमर्रा की चीजों की खरीद में कमी कर दी है, वहीं फेरी वाले विक्रेता सामान न बिकने से परेशान हैं। करंसी न होने से छोटे-मोटे प्रतिष्ठान चलाने वाले लोगों ने जहां अपने कामगारों में कटौती कर दी है, वहीं छोटे व गरीब परिवार के लोग आय घटने से परेशान हैं।

हालांकि पर्यटन कारोबार पर नोटबंदी का असर अधिक नहीं दिखाई दे रहा है। नए साल को लेकर पर्यटन स्थल शिमला और मनाली पर्यटकों से भरे पड़े हैं। शिमला होटलियर एसोसिएशन संघ के अध्यक्ष हरनाम सिंह कुकरेजा का कहना है कि जनहित के लिए सरकार को प्रतिदिन रकन निकासी सीमा बढ़ा देनी चाहिए, क्योंकि कारोबार से जुड़े लोगों को एक सीमित राशि की सीमा में नहीं बांधा जा सकता। शिमला के भराड़ी क्षेत्र की रहने वाली गृहणी नीलम शर्मा कहती है कि सरकार को अब प्रतिदिन निकासी की सीमा को 2500 रुपये से बढ़ा देना चाहिए। वह कहती हैं कि कई बैंकों में करंसी की कमी आ रही है। इसको लेकर भी सरकार को नजर रखनी चाहिए।

इधर नोटबंदी के बाद प्रदेश सरकार कैशलैस व्यवस्था की ओर कदम बढ़ा रही है। राजभवन के कैशलैस बनने के बाद प्रदेश के सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों में भी इस प्रणाली को अपनाने पर कार्य हो रहा है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय कैशलेस लेन-देन के लिए विवि परिसर में 60 स्वाइप मशीने लगाने जा रहा है। ये स्वाइप मशीने विश्वविद्यालय के सभी शैक्षणिक विभागों, पुस्तकालय, परीक्षा शाखा व सभी छात्रावासों में लगाई जाएंगी।

शिमला स्थित उपायुक्त कार्यालय में भी नकदी रहित प्रणाली पर काम चल रहा है। राज्य के विभिन्न भागों में अलग-अलग संस्थान इस प्रक्रिया से जुड़ रहे हैं। खासतौर से छोटे और मंझोले कारोबारी अपने व्यापार में डिजिटल तकनीकी अपनाते देखे जा रहे हैं। नोटबंदी के बाद शिमला बाजार में सामने आया है कि जिन दुकानदारों ने स्वाइप मशीनें नहीं लगाई थीं, या कम प्रयोग करते थे, वे अब कैशलैस की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

नोटबंदी के बाद राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के विभिन्न बैंकों में 6552 करोड़ की रकम जमा हुई है। मगर हैरानी की बात है कि करीब 80 फीसदी जनधन खातों में ही पुराने नोट जमा हो पाए हैं। सरकारी अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में 9.87 लाख जनधन खातों में से सवा लाख खातों में पुराने नोट जमा नहीं हुए हैं।

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