नई दिल्ली, 29 दिसम्बर= नोटबंदी के बाद देश में नकदी संकट को लेकर उपजे हालात को सामान्य करने के लिए प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी द्वारा मांगी गई 50 दिनों की समय सीमा गुरुवार को खत्म हो गई। हिन्दुस्थान समाचार ने हालात का जायजा लिया तो बैंक शाखाओं और एटीएम का नजारा गत दिनों के मुकाबले थोड़ा बदला-बदला नजर आया। बैंकों के बाहर कतारें तो छोटी हो गई हैं, लेकिन नकदी की किल्लत बनी हुई है।
नकदी संकट से निजात पाने के लिए काफी लोगों ने डेबिट कार्ड और पेटीएम जैसे साधनों को अपनाकर अपनी मुश्किल कुछ हद तक कम कर ली है। फिर भी समाज का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो आज भी आॅनलाइन शॉपिंग और ई-ट्रांजैक्शन जैसे आधुनिक साधनों से अछूता है। उसके लिए रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं से लेकर सभी लेन-देन का एकमात्र जरिया नकदी ही है।
राष्ट्रीय राजधानी में स्थित अधिकतर बैंकों में आज भी लोग पैसे निकालने के लिए पहुंच रहे हैं। हालांकि अब हालात वैसे नहीं हैं जैसे पुराने नोट बदलने के दौरान हुआ करते थे। ऐसे ही विभिन्न बैंकों के ज्यादातर एटीएम अब भी खाली हैं। आलम यह है कि जैसे ही एटीएम में कैश डाला जा रहा है, तीन-चार घंटों में ही खत्म हो जाता है।
इंडसइंड बैंक के गोल मार्किट स्थित एटीएम से पैसे निकालने पहुंचे सिदार्थ ने बताया कि एटीएम में पैसे भी हैं और भीड़ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि एकबारगी तो मुझे लगा कि एटीएम में शायद पैसे नहीं हैं लेकिन गार्ड ने बताया कि एटीएम में पैसे हैं तो उन्होंने राहत की सांस ली। उन्होंने कहा कि जरूरी काम तो पूरे हो रहे हैं लेकिन सरकार को नकदी की निकासी की सीमा बढ़ानी चाहिए जिससे रोज-रोज धक्के तो न खाने पड़े। रफी मार्ग पर स्थित एटीएम के बाहर कतारे में लगे मनुज ने बताया कि नोटबंदी के बाद दो हजार का नोट उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है। 100 रुपये का सामान लेने पर दुकानदार दो हजार का नोट नहीं लेते। ऐसे में खाली हाथ लौटना पड़ता है।