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नैसर्गिक आपदा में सभी किसानों को नुकसान मुआवजा मिलना ही चाहिए- मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे

मुंबई दि २०: लहरी पर्यावरण का असर दिनों-दिन किसानों को हो रहा है और पीक बीमा कंपनियों के नफा और नुकसान का प्रमाण पुनश्च एक बार निश्चित करने की जरूरत है, यह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बताया। क्षतिग्रस्तों को मुआवज़े की रकम कम ही है और इस संदर्भ में भी केंद्र सरकार ने गंभीरता से विचार कर किसानों को राहत देना चाहिए। वे आज नीती आयोग की छठवीं बैठक में बोल रहे थे। यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंस के द्वारा आयोजित की गई थी।

निरंतर बारिश से हुए नुकसान में भी मदद मिलनी चाहिए

हमारी ओर भारी बारिश हुई, तभी नुकसान मुआवज़े के लिए पात्र समझा जाता है, जो की बहुत गलत है। निरंतर बारिश तथा बेमोसमी बारिश से हुये नुकसान होने पर भी मुआवज़े के लिए पात्र होना चाहिए, यह कहते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीआरएफ के नियम भी वर्ष २०१५ के है और इन नियमों में परिवर्तन के लिए केंद्र ने कदम उठाना चाहिए।

पीक बीमा कंपनियों के नफा और नुकसान के प्रमाण को सुधारें

नीती आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उपस्थित किया महत्वपूर्ण विषय

पर्यावरण बदलाव की ओर प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही राज्य के कुछ क्षेत्र में भी फिर से बेमोसमी बारिश हुई और ओले गिरे। जिससे किसानों के आँखों से सामने ही उनकी फसल का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। प्रधानमंत्री पीक बीमा योजना में बदलाव करना बहुत जरूरी है। क्योंकि पीक बीमा कंपनियों को अधिक नफा होता है, लेकिन किसानों को उस मात्रा में नुकसान का मुआवजा नहीं मिलता। इन कंपनियों को मिलनेवाला अतिरिक्त नफा भी सरकार को वापिस मिलना चाहिए, उनका नफा और नुकसान की कुछ तो भी मात्रा निश्चित करना जरूरी है। किसानों को योग्य वह नुकसान मुआवजा मिलना भी जरूरी है और यह मुआवज़ा सभी किसानों को मिलना ही चाहिए।

पर्यावरण परिवर्तन के अनुरूप खेती होने के लिए केंद्र ने नीति बनानी चाहिए

फल, पीक में अधिक रिसर्च होने की आवश्यकता

नीती आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने की मांग

 पर्यावरण परिवर्तन के कारण अब हमें देश के कृषि क्षेत्र में भी अमूलाग्र परिवर्तन करने की आवश्यकता है, यह प्रतिपादन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने किया। वे आज नीति आयोग की छठवीं बैठक में बोल रहे थे। यह बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंस के द्वारा आयोजित की गई थी।

पर्यावरण परिवर्तन के कारण सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं, तो देश के अन्य क्षेत्र में भी इसका परिणाम हो रहा है, यह बताते हुये उन्होंने उत्तराखंड में हाल ही में हुई आपदा का उदाहरण दिया और कहा कि हम विविध योजनाएं किसानों के कल्याण के लिए चलाते है, लेकिन अधिक पैमाने पर आर्थिक लाभ तथा कर्ज से संबंधित होते है। पर्यावरण परिवर्तन की दृष्टि से इस विषय पर प्राथमिकता से चर्चा होना चाहिए और इस पर उपाय तथा कोई हल निकालना जरूरी है। हमें बदलते वातावरण के अनुसार कृषि की पद्धति में भी परिवर्तन करना होगा। बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य में शुरू किए गए ‘विकेल तेच पिकेल’ इस अभियान की जानकारी दी।

पीक पद्धति में विविधता होना जरूरी है, यह बताते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय में सेब काश्मीर की पहचान थी। जिस तरह से कोकण में ही हापूस आम की फसल होती थी, लेकिन अब अन्य देशों से भी फल आने लगे है। हम भी फलों में और फसलों में उनका स्तर सुधारने के लिए कुछ बुनियादी परिवर्तन कर सकते है क्या? इस ओर देखने की भी जरूरत है।

रिसर्च केन्द्रों को सहायता की जाए

मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा कि राज्य में विविध रिसर्च संस्था एवं विश्वविद्यालय है। केंद्र ने इसमें अच्छे स्तर के एवं गुणवत्तापूर्ण रिसर्च हो ताकि उत्पादकता व स्तर बढ़ाकर मार्केट उपलब्ध होगा और इस दृष्टि से उन्हें आर्थिक एवं तकनीकी सहायता करना चाहिए।

मार्केट का निर्माण किया जाए

फलों पर विविध प्रक्रिया उद्योग को लेकर निर्माण अधिक तेजी से होना चाहिए। साथ ही उत्पादित माल को मार्केट उपलब्ध होने के लिए प्रत्यक्ष रूप से कुछ प्रयास करना भी जरूरी है। इसके अलावा मार्केट रिसर्च होना भी बहुत जरूरी होने की बात मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहीं।

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