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नीतीश की सरकार से अपील ,पूरे देश में शराबबंदी हो लागू

Bihar.पटना, 03 अप्रैल = मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष में पूरे देश में शराबबंदी लागू करने की मांग की है। बिहार में एक वर्ष पहले लागू हुए शराबबंदी का पूरे देश में इसके लिए माहौल बना है। शराब को पूरे तौर से बंद किये बिना कोई रास्ता नहीं है। शराबबंदी का जो कदम बिहार ने उठाया है, उसका स्वागत केवल बिहार में ही नहीं बल्कि देश के दूसरे प्रांतों में भी हो रहा है। धीरे-धीरे लोगों को इस बात का एहसास हो रहा है।

मुख्यमंत्री सोमवार को यहां लोक संवाद कार्यक्रमू के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। यूपी,एमपी और झारखंड में भी शराबबंदी की उठ रही मांग के संदर्भ में पूछे जाने पर कहा कि यह कहा जा रहा है कि दुकानों की संख्या घटा देंगे, मेरी समझ में यह स्लो रिस्पांस है। सैद्धांतिक तौर पर लोगों ने यह मान लिया है कि अब शराब को बढ़ावा देना संभव नहीं है। शराब के खिलाफ जनमत हैं और लोगों को इस बात का एहसास हो गया हैं। सर्वोच्च न्यायालय का हाईवे पर 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों को हटाने के आदेश के बाद अगर राज्य सरकारें हाइवे पर खुली हुयी शराब की दुकानों को शहर/गाॅव के अन्दर ले जायेंगी तो इससे कोई समाधान नहीं होगा। इसलिये उन्हें शराबबंदी के बारे में सोचना चाहिये। हमें बिहार के बाहर जहाॅ भी जाने का मौका मिला है, वहाॅ पर हमने जनभावना देखी है कि लोग शराब के खिलाफ हैं। अन्य कई राज्यों में लोग शराबबंदी के पक्ष में आवाज बुलंद करने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि लोगों के मन में एक बात आती है कि शराब बंद कर देंगे तो उत्पाद कर में बहुत बड़ी कमी आ जायेगी। उनके सामने बिहार उदाहरण है। बिहार में 5 हजार करोड़ रूपये की आमदनी शराब पर लगाये जा रहे वैट एवं एक्साइज ड्यूटी से होती थी। शराबबंदी के बाद इस वर्ष कुल राजस्व संग्रह पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। शराबबंदी लागू करने पर मैं कहता हॅू कि शुरूआती सालों में राजस्व संग्रह में लगभग बराबर पर रहेंगे और आने वालो सालों में रेवेन्यू बढ़ेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी से सरकार के खजाने में आमदनी घटती जरूर है लेकिन लोगों का जो पैसा शराब पर बर्बाद हो रहा था, वह बच जाता है और वह दूसरे अच्छे कामों में लगता है। शराबबंदी के बाद जब मार्केट का सर्वेक्षण किया तो उसमें पाया गया कि कई चीजों की बिक्री बढ़ी है। हाॅजरी, रेडीमेड गार्मेंट्स, मिल्क, मिल्क प्रोडक्टस, स्वीट्स, सिलाई मषीन, बिजली के उपकरण, वाहन, फर्नीचर, हर क्षेत्र में मार्केट में बिक्री बढ़ी है। जो लोग सरकारी राजस्व का नुकसान समझते हैं, वे भूल जाते हैं कि लोगों का कितना बड़ा नुकसान होने से बच रहा है। हमारे यहाॅ कम से कम 10 हजार करोड़ रूपये लोग शराब में गंवा रहे थे, ये दस हजार करोड़ रूपये तो लोगों के बच गये। जिस राज्य में 10 हजार करोड़ रूपये शराब से राजस्व की आमदनी हो रही है, उस राज्य में लोग 20 हजार करोड़ रूपये गंवा रहे होंगे। अगर लोगों का पैसा बच जायेगा तो पैसा अच्छी जगह खर्च होगा। मार्केट का विस्तार होगा, इकोनाॅमी में इम्प्रूवमेंट आयेगी।

मेरी सभी राज्य सरकारों से यही अपील है कि वे शराबबंदी पर गौर करें। शराबबंदी से लोगों के लाइफ स्टाईल में परिवर्तन आयेगा, लोगों के सोच और व्यवहार में परिवर्तन आयेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने उतर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी सलाह दिया था कि शराबबंदी लागू करिये, परन्तु उस समय एक बात छेड़ दी गयी थी कि वहाॅ गन्ना का उत्पादन ज्यादा है और सुगर मिलों की संख्या भी अधिक है तो उस परिस्थिति में जो स्प्रीट बनता है। हमने उस संबंध में भी समझाया था कि उससे एथेनाॅल बनेगा। हमने जब इसे बिहार में लागू किया तो सभी सुगर मिलों की आमदनी बढ़ गयी। सुगर मिलों को जितना स्प्रीट से आमदनी होती थी, उससे कहीं ज्यादा एथेनाॅल से आमदनी हो रही है। एथेनाॅल की माॅग है और वह पर्यावरण के लिये भी उचित है।

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