पटना, सनाउल हक़ चंचल
पटना : राज्य के निजी बीएड कॉलेजों की फीस के निर्धारण पर नियंत्रण के लिए गठित राज्यस्तरीय समिति को पटना हाईकोर्ट ने अवैध घोषित करते हुए समिति द्वारा निजी बीएड कॉलेजों को तय सीमा से अधिक फीस लौटाने के आदेश को भी निरस्त कर दिया. न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने प्रकाश बीएड टीचर ट्रेनिंग कॉलेज अन्य की तरफ से दायर याचिकाओं को मंजूर करते हुए उक्त आदेश दिए.
हालांकि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राज्य सरकार को फौरन एक समिति के गठन की संस्तुति के लिए यूजीसी को आवेदन देने का भी निर्देश दिया है. जिसके आलोक में यूजीसी को भी अविलंब कानूनी तरीके से फीस नियंत्रण समिति के गठन के लिए पहल करनी होगी. चूंकि उक्त तीन सदस्यीय समिति के गठन के दौरान राज्य सरकार ने यूजीसी रेगुलेशन (नियमावली) का पालन नहीं किया था. इसलिए हाईकोर्ट ने उक्त समिति के गठन को अवैध करार दिया. याचिकाकर्ताओं का पक्ष वरीय अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद सिंह एवं पूर्व महाधिवक्ता पीके शाही ने रखा. सरकार का पक्ष सरकारी अधिवक्ता शिल्पा सिंह रंजन कुमार ने रखा.
एक ही अभ्यार्थी द्वारा फर्जी तरीके से दो-दो बार मैट्रिक परीक्षा देने के मामले में हाईकोर्ट ने विद्यालय परीक्षा समिति से इस मामले में हुई जांच रिपोर्ट को पेश करने का आदेश दिया है. न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने देवानंद सिंह की रिट याचिका को सुनते हुए उक्त आदेश दिए. याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने फर्जी तरीके से अपने नाम उम्र में फेरबदल कर दो-दो बार मैट्रिक परीक्षा दी. मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी.
सुप्रीम कोर्ट में बिहार राज्य के स्थायी सलाहकार, हाईकोर्ट में राज्य सरकार के विधि पदाधिकारियों एवं लोक अभियोजकों की और सूबे की सभी अदालतों न्यायाधिकरण में राज्य सरकार के सरकारी वकीलों / लोक अभियोजको बहाली के लिए बिहार सरकार ने 30 अक्टूबर, 2017 को बिहार विधि पदाधिकारी नियमावली को गजट में अधिसूचित किया था. पटना हाईकोर्ट के एडवोकेट विजय कुमार विमल ने गुरुवार को रिट याचिका दायर कर उक्त नियमावली की वैधानिकता को चुनौती दी है.