नदियों की सफाई पर खर्च किए 400 करोड़, फिर भी मैली रह गई नदियां
मुंबई. मुंबई में 26 जुलाई 2005 को आई भयानक बाढ़ के लिए मीठी नदी के साथ, दहिसर नदी, पोयसर नदी, वालभट नदी और ओशिवारा नदी भी जिम्मेदार थी. मीठी की तर्ज पर ही इन नदियों का पुनर्वास शुरु किया गया था. लेकिन आज तक इन नदियों की चौडाई बढ़ाने के अलावा मीठी नदी की अन्य काम नहीं हो सका है. इन नदियों की चौडाई बढ़ाने और सुरक्षा दीवार निर्माण पर लगभग 400 करोड़ रुपये खर्चकर दिया गए हैं. नदियों को नाले से नदी में बदलने के लिए अब भी लगभग 1,400 करोड़ रुपये खर्च किया जा रहा है. पिछले 13 सालों में नदी की चौडाई बढ़ाने के अलवा इसका स्वरूप नहीं बदला है. बाढ़ के भय से अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी गंगा नदी की तरह यह नदियां भी मैली ही रह गई हैं.
नदियों की उपेक्षा
26 जुलाई की बाढ़ के बाद मीठी नदी को प्राधिकरण बनाकर स्वतंत्र रुप से उसका विकास करने का निर्णय लिया गया था. तीन साल बाद, 2008 में, दहिसर, पोयसर, भालभट और ओशिविरा नदी को एक साथ विकसित करने का निर्णय लिया गया. इन सभी नदी किनारों के चौड़ीकरण के साथ ही सुरक्षात्मक दीवार का काम पूरा कर लिया गया है. दहिसर नदी के पानी को शुद्ध करने के साथ-साथ सीवरेज को नदी में रोकने के कार्य किए गए हैं. लेकिन प्रशासन दूसरी नदियों से मुंह मोड़ लिया है. इन तीन नदियों में से दहिसर नदी पर अब तक 125 करोड़ रुपये पोयसर नदी पर 200 करोड़ रुपये आशिविरा और बालभट पर 85 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं.
पुनर्वास में लगेंगे 5 साल
पिछले कई वर्षों से सुरक्षात्मक दीवार का काम पूरा होने के बावजूद बीएमसी इसमें दूषित पानी के बहाव को रोकने में विफल रहा है. इसलिए, इन सभी नदियों को उनके मूल स्वरूप में वापस लाने के लिए एक नदी कायाकल्प परियोजना शुरू करने के निर्णय के लिए सलाहकार नियुक्त किए गए हैं. इसमें भूजल स्तर बढ़ाने से लेकर सीवरेज लाइन डालने से लेकर अन्य सभी कार्य शामिल हैं. लेकिन यह मामला अभी सलाहकार पर अटका हुआ है. सलाहकार की रिपोर्ट नहीं आने से बीएमसी इस पर आगे नहीं बढ़ सकी है. इसलिए यह काम अगले चार-पांच साल में पूरा हो जाएगा नहीं कहा जा सकता.
नदियों पर अब तक खर्च
· दहिसर नदी: 125 करोड़ रुपये
· पोइसर नदी: लगभग 200 करोड़ रुपए
· ओशिविरा और वालभट नदी 85 करोड़ रुपए
भविष्य में होने वाला खर्च
· पोयसर नदी: 751 करोड़ 69 लाख रुपये
· दहिसर नदी: 180 करोड़ 98 लाख रुपये
· ओशिवारा-वालभट नदीः 503 करोड़ 42 लाख रुपये