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ध्रूमपान से होने वाली मौतों के लिए ‘निकोटीन’ जिम्मेदार नहीं: एवीआई

नई दिल्ली (ईएमएस)। धूम्रपान से होने वाली मौतों के लिए निकोटीन को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए। यह कहना है एसोसिएशन ऑफ वेपर्स इंडिया (एवीआई) का। सरकार वेपिंग और स्मोकिंग के बीच सीमित जागरूकता को ध्यान में रखते हुए ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने से डर रही है। शनिवार को एवीआई ने इस बात पर जोर दिया कि धूम्रपान से होने वाली मौतों के लिए निकोटीन को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए। एवीआई के निदेशक सम्राट चौधरी ने कहा कि वेपिंग से स्वास्थ्य जोखिम को लेकर लंबे स्तर पर लोगों को गलतफहमी है, जिस कारण भारत के कई राज्यों में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बता दें कि वेपिंग का मतलब ई-सिगरेट या अन्य उपकरणों का उपयोग है, जिससे धूम्रपान (धुएं के सेवन) की बजाए वाष्प के रूप में निकोटीन या अन्य दवाओं से लोग सांस लेते हैं।

चौधरी ने कहा, यह गलतफहमी सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। ई-सिगरेट अन्य जगहों पर भी नकारात्मक सार्वजनिक धारणा की शिकार है। बता दें कि ई-सिगरेट बैटरी संचालित उपकरण है। इसमें एक तरल पदार्थ (लिक्विड) का उपयोग होता है, जिसमें निकोटीन का इस्तेमाल हो सकता है। यह स्वाद के संयोजन (फ्लेवरिंग), प्रोपलीन ग्लाइकोल, सब्जियों से निकाला गया तैलीय तत्व व अन्य सामग्री के इस्तेमाल से तैयार की जाती हैं। जब धूम्रपान किया जाता है, तो सिगरेट टार और अन्य जहरीले रसायनों का धुआं छोड़ती है। जिसे धूम्रपान करने वालों के बीच समयपूर्व मृत्यु के लिए व्यापक रूप से जिम्मेदार माना जाता है। अमेरिकी फेडरल ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के अनुसार, निकोटीन एक दवा है, क्योंकि यह मस्तिष्क को उत्तेजित करती है और आनंद की भावना को बढ़ाती है, जिससे व्यक्ति द्वारा उसके निरंतर उपयोग को मजबूत करती है। यह कैंसर, फेफड़े और हृदय रोगों से गंभीर बीमारी से मौत का कारण नहीं है। यह कोई गंभीर बीमारी पैदा नहीं करता है। एवीआई ने इसी के आधार पर निकोटीन को मौत का कारण मानने से इंकार किया है।

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