दलितों का विश्वास हासिल करने का प्रयास करें, संघ ने भाजपा नेताओं को दी नसीहत
लखनऊ (ईएमएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उत्तर प्रदेश सरकार को नसीहत दी है कि दलितों और पिछड़े मतदाताओं का विश्वास जीतने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। संघ ने कहा कि दो अप्रैल को भारत बंद के दौरान हुई हिंसक विरोध प्रदर्शन इतने बड़े पैमाने पर होगा, इसका अंदाजा राज्य सरकार नहीं लगा पाई थी, यह उसकी रणनीतिक भूल है। हाल के दिनों में दलित जिस तरह से भाजपा से विमुख हुए हैं, उसे खतरनाक संकेत के रूप में देखा जाना चाहिए। इस स्थिति में संघ ने भाजपा संगठन को डैमेज कंट्रोल की नसीहत दी है।
इस सप्ताह आगरा में संघ और भाजपा नेताओं के बीच हुई समन्वय बैठक के बाद पार्टी के कम से कम दो नेताओं ने यह जानकारी दी। भाजपा जल्द ही यूपी में लाभार्थियों की संगोष्ठी कराएगी, जहां पीएम ग्रामीण आवास योजना, उज्ज्वला और सौभाग्य स्कीम जैसी केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थियों को सम्मानित किया जाएगा। इन संगोष्ठियों में दलित और पिछड़ी जातियों के लाभार्थियों की पहचान करने और उनका सम्मान करने पर फोकस किया जाएगा। आगरा में हुई बैठक में मौजूद यूपी भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘2019 के लोकसभा चुनावों की बेहतर तैयारी के लिए समन्वय समिति को मजबूत बनाकर जिला और विधानसभा क्षेत्र स्तर पर संघ के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा। दरअसल, यह आम धारणा है कि संघ के सक्रिय भूमिका नहीं निभाने के चलते भाजपा को गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
लखनऊ के भाजपा नेताओं ने आगरा में हुई बैठक को भले ही रूटीन बताया हो, लेकिन उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद यह ऐसी पहली बैठक हुई थी। इसमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) शिव प्रकाश, उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एम एन नंदी, राज्य में पार्टी के मुख्य रणनीतिकार सुनील बंसल और दो केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार और कृष्णा राज भी मौजूद थे। आगरा में दो दिनों तक चली इस बैठक में वहां के सांसद और नेशनल एससी/एसटी आयोग के प्रमुख रामशंकर कठेरिया के अलावा सुरेश खन्ना और श्रीकांत शर्मा जैसे उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री भी मौजूद थे। बैठक के मुताबिक भाजपा नेताओं ने संघ को बताया कि पार्टी बसपा को एक्सपोज करने में जुटी है। इसके लिए 2007 में जारी उस सर्कुलर को हाइलाइट किया जा रहा है जिसमें तब की सीएम मायावती ने एससी/एसटी ऐक्ट के तहत पुलिस के अधिकार कम करने की कोशिश की थी। भाजपा नेताओं ने कहा कि वे लोग जनता को बताने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आंबेडकर की मूर्तियों को छिन्न-भिन्न करने के मामले में कड़ा रुख अपनाया है।