त्रिपुरा में बुल्डोजर से तोड़ी लेनिन की मूर्ति , धारा 144 लागू
हिंसक हुआ राजनीतिक विरोध, अर्धसैनिक बलों की तैनाती, राज्य के कई हिस्सों में धारा 144 लागू
अगरतला, 06 मार्च (हि.स.)। त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में वामपंथ की करारी हार के बाद 25 वर्षीय लाल शासन का अंत होते देख राज्यवासियों में भारी खुशी व्याप्त है। वहीं लंबे समय तक वामपंथी सरकार का कोपभाजन बनी राज्य की जनता में वामपंथियों के विरूद्ध रोष रह-रहकर बाहर निकलता दिखाई दे रहा है। नाराज लोगों ने वामपंथी सोच को राज्य में स्थापित करने वाले विदेशी नेता लेनिन की मूर्ति को बुल्डोजर के जरिए तोड़ दिया। यह घटना सोमवार की शाम को दक्षिण त्रिपुरा के बेलोनिया कॉलेज स्क्वायर इलाके में देखी गई।
स्थानीय लोगों ने चंदा कर पैसा एकत्र कर एक बुल्डोजर बुलाया, जिसके चलते लेनिन की मूर्ति को गिरा दिया गया। लोगों में की प्रतिक्रिया से साफ नजर आ रहा है कि राज्य में वामपंथी शासन के प्रति कितना रोष व्याप्त है। साथ ही मुख्यमंत्री आवास की ओर जाने वाले मार्ग का नाम भी बदलने की मांग लोगों ने जोरशोर से उठाई है।
वामपंथी नेताओं ने इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। भाजपा ने साफ किया है कि इस घटना में पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता शामिल नहीं है। भाजपा ने कहा है कि इस घटना में आम लोगों ने अपनी नाराजगी का एक तरह से इजहार किया है। पुलिस जनता के रोष को रोकने में विफल रही।
वामपंथ के किला के रूप में परिचित बिलोनिया इलाके में स्थित कॉलेज स्क्वायर में लेनिन की एक बड़ी प्रतिमा बनाई गई थी। प्रतिमा के निर्माण पर एक करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया था। सोमवार की रात को स्थानीय लोगों ने उसे तोड़ दिया। पुलिस मौके पर मौजूद थी, लेकिन भीड़ को रोकने में विफल रही।
मंगलवार की सुबह से इस घटना की प्रतिक्रिया पूरे राज्य में देखने को मिल रही है। वहीं राजधानी अगरतला में मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास की ओर जाने वाली विशेष सड़क मार्क्स-एंगल्स रोड के नाम को बदलने की मांग भी जोरशोर से उठने लगी है।
वामपंथियों में साम्यवादी विचारधारा के नायक के रूप में विख्यात लेनिन की मूर्ति तोड़े जाने वामपंथी दल और उनके कैडरों में नाराजगी देखी जा रही है। 25 साल से सत्ता में काबिज रही सीपीआई (एम) आरोप लगा रही है कि भाजपा-आइपीएफटी के कार्यकर्ता हिंसा पर उतारू हैं| उधर, भाजपा व आईपीएफटी का आरोप है कि सत्ता हाथ से जाने के बाद वामपंथी कैडर पूरे राज्य में हिंसक हो गए हैं| लोगों के घरों में घुसकर मारपीट कर रहे हैं। राज्य के कई हिस्सों में धारा 144 लागू किया गया है।
सीपीएम ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए लिखा, ‘त्रिपुरा में चुनाव जीतने के बाद हुई हिंसा प्रधानमंत्री के लोकतंत्र पर भरोसे के दावों का मजाक उड़ाती है। त्रिपुरा में वामपंथी और उनके समर्थकों के बीच डर और असुरक्षा की भावना फैलाने की कोशिश की जा रही है।’
स्थानीय लोगों का कहना है कि वामपंथी शासन में एक क्रूर शासक की विचारधारा के जरिए राज्य की जनता पर काफी जुल्म ढाए गए हैं। आम लोगों को वामपंथी शासन के कार्यकाल में अपनी बात रखने के लिए कोई स्थान नहीं था। लोग डर के साये में अपना जीवन गुजारने को मजबूर थे। जो वाम सरकार का समर्थन नहीं करता था, उसको सरकारी सुविधाएं नहीं मिलती थीं। राज्य से वामपंथी शासन के समाप्त होने पर राज्य की अधिकांश जनता में खुशी की लहर दौड़ गई है। हिंसा प्रभावित इलाकों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है। कुल मिलाकर फिलहाल स्थिति शांत है, लेकिन तनाव पूर्ण हालात पूरे राज्य में बने हुए हैं। वामपंथी कैडर अपनी हार को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।