तीन साल तक पेट्रोल-डीजल पर लकी थे मोदी , एक साल से किस्मत खराब
नई दिल्ली (ईएमएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली के दौरान खुद को देश के लिए लकी बताया था। मगर अब ऐसा लगता है, जैसे उनके भाग्य ने साथ छोड़ दिया है। लगातार नौवें दिन कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी की है। मोदी के लिए शुभ माना जाने वाला पेट्रोल-डीजल अब आम आदमी के लिए बेहद कीमती हो रहा है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक साल से भी कम समय में कच्चे तेल की कीमत 113 डॉलर प्रति बैरल से 53 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी। बड़े स्तर पर सोशल सेक्टर में निवेश की इच्छुक और राजाकोषीय घाटे से जूझ रही सरकार के लिए यह किसी तोहफे से कम नहीं था। जब क्रूड ऑयल के दाम कम हुए तो विपक्ष ने कहा कि यह मोदी की परफॉर्मेंस नहीं, बल्कि उनकी किस्मत है।
2015 में दिल्ली में हुई एक चुनावी रैली के दौरान मोदी ने विपक्षी पार्टियों को जवाब देते हुए कहा, ठीक है, मान लेते हैं कि मैं सौभाग्यशाली हूं। लेकिन लोगों ने पैसा बचाया या नहीं? यदि मोदी की किस्मत से लोगों का फायदा हो रहा है, इससे ज्यादा सौभाग्य की बात क्या हो सकती है। यदि मेरी किस्मत की वजह से पेट्रोल और डीजल के दाम कम होते हैं और लोगों को इसका फायदा होता है तो किसी अनलकी को लाने की क्या जरूरत है? पेट्रोल-डीजल के मामले में मोदी की किस्मत चमकती रही और तेल के दाम जनवरी 2016 में 29 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए। तीन साल के बाद किस्मत तेल पर फिसलने लगी और वैश्विक स्तर पर क्रूड ऑयल के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए। अब आशंका जताई जा रही है कि दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से भी आगे पहुंच सकते हैं। अब दिल्ली में पेट्रोल के दाम 76.87 रुपए प्रति लीटर हैं और मुंबई में 84.70 रुपए प्रति लीटर, जबकि दिल्ली में डीजल के दाम 68.08 रुपए प्रति लीटर और मुंबई में 72.48 रुपए प्रति लीटर। हालांकि, भारत में तेल की कीमतें पूरी तरह मोदी की किस्मत पर निर्भर नहीं करती हैं। कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत में वृद्धि उनकी सरकार के नियंत्रण के बाहर है, लेकिन मोदी सरकार कीमत कम करने के लिए उत्पादन शुल्क में कटौती कर सकती है। पेट्रोल डीजल के आधे कीमत के टैक्स होते हैं।
जिस समय कच्चे तेल की कीमतें कम थीं, उस समय सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर टैक्स के रूप में काफी पैसा कमाया, लेकिन अंतराष्ट्रीय मार्केट में इसकी कीमत बढ़ने के बाद सरकार अपने टैक्स कम कर लोगों को राहत दे सकती है। जब भी तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो उस पर टैक्स में बढ़ोतरी होती है। केंद्र सरकार ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 तक एक्साइज ड्यूटी में नौ बार बढ़ोतरी की, जबकि टैक्स में कटौती सिर्फ एक बार पिछले साल अक्टूबर में की गई। हालांकि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसमें कटौती के संकेत दिए हैं। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट विकास हलन का कहना है कि ओएनजीसी और ऑयल इंडिया फ्यूल सब्सिडी का भार आपस में बांटने के लिए कहा जा सकता है और वे अच्छी तरह से इसे वहन भी कर सकती हैं।