तीन तलाक के खिलाफ मुखर हो रही हैं मुस्लिम महिलाएं
मऊ, 13 मार्च (हि.स.)। एक तरफ जहाँ तीन तलाक के मुद्दे पर लगभग पूरे देश व सियासी खेमे में हलचल सी मच गयी है वही इस विषय से अब मऊ की महिलाएं भी अछूती नहीं रह गयी है। स्थिति यह है कि तीन तलाक की मार से पीड़ित मुस्लिम महिलाएं अब खुले शब्दो में इसको बन्द करने की वकालत कर रही है।
गौरतलब हो कि सदियों से तीन तलाक को जायज ठहराने वाले इस्लाम धर्म के धर्मगुरुओं के खिलाफ अब मऊ की महिलाओं द्वारा मुखालफत शुरू सी हो गयी है। शहर के एक मुहल्ला निवासी शारजहाँ ने बताया कि उसको उसके पति ने केवल इसलिए तलाक दे दिया कि उसको किसी दूसरी महिला से लगाव हो गया और वह उससे शादी करना चाहता था। इस तलाक से पहले शारजहा के पेट में पल रहे बच्चे को पति ने मारने के बाद उसकी बच्चेदानी को भी निकलवा दिया है।
वहीं नगर की ही नुजहत परवीन ने बताया कि उसका पति दस वर्ष पहले उसे इसलिए छोड दिया कि उसकी तीन बेटियाँ हो गयी पति ने कहा कि केवल बेटियाँ हो रही है इसलिए उसे छोड दिया। अब ऐसे में दस वर्ष पहले उसका पति बेटियों के पैदा होने पर छोड़ दिया और दूसरी औरत से शादी कर जिन्दगी गुजार रहा है लेकिन नुजहत परवीन अपनी तीन बेटियो के साथ अपनी जिन्दगी को किसी तरह मेहनत मजदूरी करके गुजार रही है।
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तीन तलाक का मुद्दा व इससे उपजी समस्या इतनी भयावह हो गयी है कि तलाकशुदा महिलाओं के बच्चे व एक खास धर्म की आने वाली पीढियों ने भी आवाज उठानी शुरू कर दी है। तलाकशुदा महिला नुजहत की बेटी आयशा ने अपील किया कि सरकार इसको बन्द करें, इससे हम जैसे बच्चों की जिन्दगी बर्बाद हो रही है। अब ऐसे में इस्लाम में शरीयत और धर्म के नाम पर अपनी ठेकेदारी की दुकान चलाने वाले मौलवी और काजियो को ये बाते कभी सुनाई पड़ी या नहीं यह तो नहीं पता लेकिन मऊ की महिलाओं ने अब तीन तलाक को अपने लिए एक नासूर मानते हुए इससे निजात के लिए अपने हक की आवाज उठानी शुरू कर दी है, अब ऐसे में इनकी लड़ाई कितनी सफल होती है यह तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन इतना तो है की बुरकें में रहने वाली महिलाओं ने भी अपने हक में आवाज उठानी शुरू कर दी है।
वही तलाक के मामलों के जानकर अधिवक्ता गोपाल निषाद ने बताया कि अकेले मऊ जनपद के न्यायालयों में इस तरह के करीब 5 हजार मामले लम्बित पड़े हुए है, जिस पर कोई असर नहीं दिखायी पड़ रहा है साथ ही कहा कि सरकार को दिशा मे ठोस कदम उठाने की जरुरत है।