तमिलनाडु : कावेरी जल विवाद को लेकर किसानों ने श्मशान पर किया प्रदर्शन
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त्रिची (ईएमएस)। कावेरी जल विवाद पर तमिलाडु के किसानों का प्रदर्शन और तेज होता जा रहा है। नेशनल साउथ इंडियन रिवर्स इंटरलिंकिंग फार्मर्स एसोसिएशन ने संगठन के अध्यक्ष पी. अय्याकन्नू के नेतृत्व में श्मशान में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी किसानों ने कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड के गठन की मांग को लेकर चिता के पास लेटकर प्रदर्शन किया। अय्याकन्नू के नेतृत्व में लगभग 10 लोग कावेरी नदी के किनारे स्थित ओयामरी श्मशान पहुंचे और एक लाश की तरह खुद भी बुझ चुकी चिताओं के बगल में लेट गए। किसानों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार तमिलनाडु के किसानों के हितों के खिलाफ काम कर रही है। उन्होंने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड का गठन किया जाए।
इससे राज्य के किसानों को उनके हिस्से का पानी मिल सकेगा और उनका फायदा होगा। इस तरह के प्रदर्शन की खबर सुनकर थोड़ी देर में पुलिस भी वहां पहुंच गई और उनसे बातचीत करके उन्हें वहां से हटाया गया। कावेरी नदी के बेसिन में कर्नाटक का 32 हजार वर्ग किलोमीटर और तमिलनाडु का 44 हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका आता है। दोनों ही राज्यों का कहना है कि उन्हें सिंचाई के लिए पानी की जरूरत है। इसे लेकर दशकों से विवाद चल रहा है।
विवाद के निपटारे के लिए जून 1990 में केंद्र सरकार ने कावेरी ट्रिब्यूनल बनाया था। इसने लंबी सुनवाई के बाद 2007 में फैसला दिया था कि हर साल कावेरी नदी का 419 अरब क्यूबिक फीट पानी तमिलनाडु को दिया जाए, जबकि 270 अरब क्यूबिक फीट पानी कर्नाटक को दिया जाए। कावेरी बेसिन में 740 अरब क्यूबिक फीट पानी मानते हुए ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला सुनाया था। इसके अलावा केरल को 30 अरब क्यूबिक फीट और पुदुचेरी को सात अरब क्यूबिक फीट पानी देने का फैसला दिया गया था। इस फैसले से कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल खुश नहीं थे और फैसले के खिलाफ तीनों ही राज्य एक-एक करके सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।