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डहाणू – नासिक रेलवे रूट को रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु ने इस बार भी दिखाया ठेंगा .

इमरान मेमन .

मुंबई से सटे पालघर जिले के आदिवासियो के विकास के लिए बेहद ज़रूरी समझे जाने वाले डहाणू -नाशिक रेलवे रूट को लेकर इस क्षेत्र की जनता इस रेल बजट से यह उम्मीद लगाये बैठी थी की इस रेल बजट में रेल मंत्री इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देंगे लेकिन रेल बजट आने बाद इस साल भी रेल मंत्री सुरेश प्रभु इस प्रोजेक्ट को ठेंगा दिखाते नजर आये जिसके कारण इस क्षेत्र की जनता की उम्मीदों पर पानी फिर गया और हमेशा की तरह इस बार भी उनके हाथ निराशा लगी है .

डहाणू – नासिक रेल रूट जो आदिवासियो के विकास के लिए बेहद ज़रूरी समझा जाता है . और यह  रूट  करीव 1952 से लटका हुआ है, आदिवासिओ के विकास की दृष्टी से इस रेल रुट का काम शुरू होना बेहद ज़रूरी था। पिछले 68 सालो से यहाँ के आदिवासिओ को हर चुनाव में रेल रूट का लॉलीपॉप देकर राजनितिक पार्टियो  ने वोट बटोर कर सरकारे बनायीं और नतीजे आने के बाद यहाँ के लोगो को हर कोई भूल गया।

इस क्षेत्र में रोजगार का कोई भी साधन न होने से हर साल मोखडा, जव्हार, तलासरी, विक्रमगड, डहाणू  के 60 % आदिवासी युवा रोजगार के लिए ठाणे, मुंबई, पालघर, नासिक, भायंदर, मीरा रोड, कल्याण, विरार, और गुजरात की और जाते है, जिनमे कई युवा रोज़ 7 घंटे तक का सफ़र और 9 घंटे काम कर महीने के 6 से 7 हज़ार कमाते है।

डहाणू-नाशिक रेल्वे रूट की सबसे पहले मांग 1952 में सांसद नंदकर ने की थी, पहले लोकसभा में इस विषय को एहमियत देना मुमकिन नही था तो सिर्फ इस पर चर्चा हुई और मामला साइडिंग में किसी पैसेंजर ट्रेन की तरह वीरान स्टेशन पर डाल दिया गया। 1957 में जव्हार के राजा और लोकसभा के सांसद  यशवंत राव मुकने ने फिर से इस रेल रूट का मामला संसद में उठाकर सरकार के सामने मांग रखी मगर बात नहीं बनी. यहाँ बच्चों ने बूढ़े होने तक रेलवे की कहानी सुनी है और सिर्फ किताबो में देखा है, मुंबई से महज 100 किमी की दुरी पर कई लोग ऐसे भी है जिन्होंने कभी रेल देखि ही नहीं।

मेक इन इंडिया जैसे नारे देने वाली भाजपा सरकार के कैबिनेट मिनिस्टर विष्णु सावरा का चुनावी क्षेत्र भी यही है, कुपोषण से मरते बच्चे और बिमारिओ के संकट में बेहतर आरोग्य सुविधाओ के लिए तरसते आदिवासिओ को नज़र अंदाज़ किया गया है। इस बार भी हर सांसद, राजनेता ने रेल रुट की मांग की मगर रेल बजट में हर बार की तरह ठेंगा दिखा दिया गया।

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