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ठुमरी साम्राज्ञी पद्मविभूषण गिरिजा देवी के निधन से संगीत प्रेमी और कलाकार हुए गमजदा

वाराणसी, 25 अक्टूबर (हि.स.)। ठुमरी साम्राज्ञी पद्मविभूषण गिरिजा देवी (अप्पा जी ) के निधन की बुधवार को सुबह शहर में जानकारी होते ही संगीत रसिकों के साथ यहां के दिग्गज संगीत घरानों में शोक की लहर दौड़ गयी। लोग अप्पा जी के जिंदादिली और संगीत साधना के बारे में दिनभर बातें करते रहे। 

भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत में ठुमरी साम्राज्ञी के रूप में विख्यात 88 वर्षीय गिरिजा देवी पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं। मंगलवार को सुबह करीब 11.30 बजे छाती में दर्द की शिकायत पर उन्हें तुरंत कोलकाता के बीएम बिरला हार्ट रिसर्च सेंटर ले जाया गया और सीसीयू में भर्ती किया गया। जहां इलाज के दौरान रात के करीब 8.55 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। अप्पा जी के निधन से गमगीन पद्मभूषण पं. राजन-पं. साजन मिश्र (मिश्र बंधुओं ) ने कहा कि वह युग महिला थीं। ऐसे संगीत उपासक तो सौ-सौ साल में कभी कभी पैदा होते हैं । कांग्रेस के नेता और अप्पा जी के निकटतम गंगा सहाय पांडेय ने कहा कि अप्पा जी अक्खड़ मिजाजी, मातृत्व भाव का एहसास कराती थी। 

बताते चले कि अप्पाजी की अन्तिम इच्छा थी कि काशी में संगीत कला धाम बने। इसको लेकर अप्पा जी मिश्र बंधुओं (पं.राजन-साजन मिश्र) से अक्सर बात करती रहती थी। इसको लेकर दोनो भाई प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले थे। तब अप्पा जी ने मुलाकात के बारे में पुछा था। 8 मई 1929 को बनारस में जन्मी गिरिजा देवी को 2016 में पद्मविभूषण सहित विभिन्न सम्मान से नवाजा गया था।

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