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ट्रेनों की छवि सुधारने के लिए भारत लेगा रूस की मदद .

नई दिल्ली, 23 जनवरी =  लेटलतीफी के लिए मशहूर भारतीय रेलवे अपनी इस छवि से निजात पाने के लिए मचल रही है। यही कारण है कि रेलवे अब समय की पाबंद होने के लिए हर कदम उठा रही है। रेलवे ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए रूस की मदद ले रही है।

खबरों के मुताबिक, रसियन रेलवेज भारत में ट्रेनों की स्पीड बढ़ाकर 200 कि.मी. प्रति घंटा करने में सहायता कर रहा है। अभी वह नागपुर और सिकंदराबाद के बीच 575 कि.मी. लंबी रेल लाइन पर काम कर रहा है| पिछले सप्ताह उसने प्राथमिक रिपोर्ट भी सौंप दी है। गौरतलब है कि अभी देश की सबसे तेज ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस की अधिकतम रफ्तार 160 कि.मी. प्रति घंटा है।

रूसी रेलवे ने अपेक्षित रफ्तार हासिल करने के लिए इस रिपोर्ट में कुछ तकनीकी उपायों के सुझाव दिए। चूंकि भारत में ट्रेन कोचें ऐसी हैं ही नहीं कि उनकी रफ्तार बढ़ाकर 200 कि.मी. प्रति घंटे तक की जा सके। इसलिए, बाकी उपायों के साथ नई तरह की कोचों की भी जरूरत पड़ेगी। रिपोर्ट में नागपुर-सिकंदराबाद के बीच कई ‘बड़े पुलों पर सीमित रफ्तार में ट्रेन की आवाजाही’ की बाध्यता पर चिंता जाहिर की गई। इसी संदर्भ में रसियन रेलवेज ने ऐसे बड़े-बड़े ढांचों के सर्वे का सुझाव दिया ताकि यह पता चल सके कि किन-किन ढांचों को दोबारा बनाने की जरूरत है और किन्हें रिपेयर करने से काम चल जाएगा।

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि ट्रेनों को एक पटरी से दूसरी पटरी पर स्विच करने की व्यवस्था भी 200 कि.मी. की रफ्तार के लिहाज से उचित नहीं है| इसलिए दूसरी तरह के स्विच के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है। प्रस्ताव में पूरे नागपुर-सिंकदराबाद सेक्शन पर मौजूदा रेडियो कम्युनिकेशन की जगह डिजिटल टेक्नलॉजिकल कम्युनिकेशन नेटवर्क की वकालत की गई है।

रूसी रेलवे का कहना है कि जहां रेलवे पटरियों के किनारे बस्तियां बसी हैं, वहां शोर दबाने की भी व्यवस्था की जाए। इस प्रोजेक्ट के लिए पिछले साल अक्टूबर में ही दोनों देशों के रेल मंत्रालयों के बीच एक समझौता हुआ। हाई-स्पीड प्रॉजेक्ट का खर्चा दोनों देश बराबर-बराबर उठाएंगे।

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