वशिंगटन, 07 दिसंबर (हि.स.)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को यरूशलेम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दे दी। इस फैसले के बाद इस्लामिक स्टेट और अलकायदा ने अमेरिका पर हमले की धमकी दी है।
समाचार एजेंसी रॉयटर के अनुसार, इस मौके पर ट्रंप ने कहा, “ पूर्व राष्ट्रपतियों ने इस बारे में अभियान चलाया, लेकिन इस वादे को पूरा करने में असफल रहे। आज मैं इस वादे को पूरा कर रहा हूं।”
ट्रंप ने अमेरिकी प्रशासन को इस बारे में निर्देश देते हुए कहा कि इजरायल के तेल अवीव स्थित अमेरिकी दूतावास यरूशलेम ले जाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। यरूशलेम इस्लाम और ईसाईयों की श्रद्धा का केंद्र है। साथ ही यह इजरायल और अरब के बीच विवाद का भी मुद्दा है। फिलिस्तीन पूर्वी येरूशलम को अपनी राजधानी मानता है। वहां अल अक्सा मस्जिद स्थित है।
ट्रंप के इस फैसले से अरब जगत में खलबली मच गई है। ज्यादातर देशों को इस बात की आशंका है कि ट्रंप के फैसले से दुनिया भर में एक बड़ा विवाद छिड़ सकता है जो एक बड़े युद्ध के रूप में पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले के बाद फ्रांस, मिस्र और ब्रिटेन सहित आठ देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई है।
इस मसले पर एक सवाल के जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि फिलिस्तीन के मुद्दे पर भारत का रुख स्वतंत्र और समान है। भारत की नीति उसके दृष्टिकोण और हितों से तय होती है। यह किसी देश के फैसलों से प्रभावित नहीं होती है।
हालांकि ट्रंप की इस घोषणा के बाद इस बात की आशंका है कि इस्लामिक चरमपंथियों और जेहादियों को दुनिया भर में अभियान छेड़ने का मौका मिल जाएगा। इस संबंध में अलकायदा और आईएस की धमकी इस आशंका को बल देती है।
विदित हो कि आईएस के प्रचार अभियान के रूप में आईएस समर्थकों ने धमकी भरे ग्राफिक्स अंग्रेजी, अरबी और हिब्रू में भाषाओं में पोस्ट की हैं। आतंकी संगठन अलकायदा ने मुसलमानों से ओसामा बिन लादेन और फिलिस्तीन नेताओं के बयान के साथ इस मुद्दे पर आगे आने की अपील की है।
इस बीच इजरायल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले का स्वागत किया है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि उनका देश इस फैसले का सदैव आभारी रहेगा।