पटना/एस. एच. चंचल
पटना। जोकीहाट उपचुनाव में राजद प्रत्याशी शाहनवाज आलम की जीत के बाद बिहार में राजद, कांग्रेस एवं हम के गठबंधन को मंजिल अब नजदीक दिखने लगी है। लालू प्रसाद की अनुपस्थिति में ढाई महीने के भीतर चार सीटों पर हुए उपचुनावों में तीन पर जीत ने तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता को सत्यापित कर दिया है। इससे सहयोगी दलों के नेताओं का राजद के प्रति समर्पण और पुख्ता हुआ है। साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं की उम्मीदें भी बढ़ी हैं। अब 2019 के महासमर की संयुक्त तैयारी की बारी है।
विपक्ष की राजनीति में जोकीहाट उपचुनाव के कई साइड इफेक्ट हैं। तेजस्वी यादव को बेहतर पता है कि नीतीश कुमार की छवि और भाजपा की संगठित शक्ति से मुकाबला राजद के लिए इतना आसान नहीं होगा। यह भी पता है कि 70 फीसद मुस्लिम आबादी वाला जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र के चुनावी नतीजे के आईने में शेष बिहार को नहीं देखा जा सकता है। इसलिए राजद में जीत के उत्साह के बीच बूथ से लेकर राज्य स्तर पर संगठन को मजबूत बनाने की कवायद भी साथ-साथ चलने लगी है।
करीब ढाई महीने पहले अररिया संसदीय उपचुनाव के दौरान जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में राजद प्रत्याशी सरफराज आलम को जितने मत मिले थे, उससे अबकी शाहनवाज को करीब 40 हजार मत कम मिले हैं। जदयू के मामले में ऐसा नहीं है। उसे लगभग उतने वोट मिल गए हैं, जितने लोकसभा के दौरान भाजपा प्रत्याशी को मिले थे। जाहिर है, वोट राजग का नहीं, राजद का घटा है। इस गणित का अहसास तेजस्वी को भी है। इसलिए तैयारी में किसी तरह की कोताही नहीं है।
दल का मनोबल बढ़ा
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी के मुताबिक उपचुनावों में चार में से तीन सीटों पर जीत ने तेजस्वी को नई ऊर्जा दी है और कार्यकर्ताओं के मनोबल का विस्तार किया है। पार्टी के अंदर और बाहर तेजस्वी की स्वीकार्यता बढ़ी है। राजद के वरिष्ठ नेताओं का भ्रम दूर हुआ है और कनिष्ठ नेताओं का समर्पण बढ़ा है। महागठबंधन के घटक दलों का मनोबल भी ऊंचा हुआ है। प्रवक्ता चितरंजन गगन के मुताबिक कोई शक नहीं कि लालू की अनुपस्थिति में तेजस्वी राजद कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ-साथ विरोधी दलों के भी तराजू पर थे, किंतु जोकीहाट ने तौलकर तेजस्वी का वजन बता दिया है। यह भी सिद्ध कर दिया है कि राजद का आधार वोट बरकरार है।