देश की सर्वोच्च अदालत ने मालेगांव ब्लास्ट केस में अभियुक्त कर्नल श्रीकांत पुरोहित की ज़मानत याचिका को स्वीकार कर लिया है. इस हमले की अभियुक्त साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बीते अप्रैल में ज़मानत मिल चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल पुरोहित को ज़मानत देते हुए इसे शर्तों के साथ दी गई ज़मानत बताया है.
ये है मालेगांव ब्लास्ट केस
महाराष्ट्र के मालेगांव के अंजुमन चौक तथा भीकू चौक पर 29 सितंबर 2008 को बम धमाके हुए थे. इनमें छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग घायल हुए थे.इन धमाकों में एक मोटरसाइकिल इस्तेमाल की गई थी.इस मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते ने की थी, जो बाद में एनआईए को सौंपी गई थी.
इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भी एक अभियुक्त हैं. उन्हें बीती अप्रैल में ही बॉम्बे हाईकोर्ट की ओर से ज़मानत दी गई है.
कौन हैं कर्नल पुरोहित?
मालेगांव ब्लास्ट केस में अभियुक्त बनाए गए कर्नल श्रीकांत पुरोहित का संबंध दक्षिण पंथी संगठन अभिनव भारत से बताया जाता है.बॉम्बे हाइकोर्ट ने एनआईए की रिपोर्ट के आधार पर कहा था, “पुरोहित वह हैं जिन्होंने हिंदू राष्ट्र के लिए अलहदा संविधान बनाने के साथ, एक अलग भगवा झंडा बनाया. उन्होंने हिंदुओं पर मुस्लिमों के अत्याचार का बदला लेने पर भी विचार-विमर्श किया.”
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुरोहित की याचिका को अस्वीकार कर दिया था.
जांच एजेंसियों के मुताबिक, मालेगांव ब्लास्ट को कथित तौर पर अभिनव भारत नामक दक्षिणपंथी संस्था ने अंजाम दिया था.एनआईए के मुताबिक, पुरोहित ने गुप्त बैठकों में हिस्सा लेकर धमाकों के लिए विस्फ़ोटक तक जुटाने की सहमति दी.”लेकिन बीते 17 अगस्त को कोर्ट के सामने पुरोहित ने ख़ुद के राजनीति का शिकार होने की बात कही थी.