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जानवरों में भी बढ़ रही है पथरी की समस्या

लखनऊ,16 जनवरी(हि.स.)। जनवरों में भी अब पथरी की समस्या देखनें को मिल रही है। सर्दी के मौसम में जानवर अक्सर कम पानी पीते है, इस कारण इस रोग की बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है। पशु चिकित्सकों की मानें पथरी कुत्तों, पड़वा और बकरियों में सबसे ज्यादा पाई जाती है। पथरी कुत्तों, पड़वा और बकरियों में सबसे ज्यादा पाई जाती है।

भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान के प्रभारी डॉ. अमरपाल ने बताया कि सर्दियों में ज्यादातर बछड़े,बछिया कम पानी पीते हैं, जिससे पथरी की समस्या बढ़ जाती है। हमारे संस्थान में रोज पांच से दस मामले पथरी के आ रहे हैं। पशुपालक ज्यादातर बछड़े,बछिया को भूसा और चोकर दे देते हैं। जो पथरी बना देती है। 

उन्होंने बताया कि यह पथरी कुत्तों, पड़वा और बकरियों में सबसे ज्यादा पाई गई है। हमारे क्लीनिक में पथरी को निकालने के लिए ट्यूब सिस्टोस्टॉमी तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। इसमें फोलेस कैथेटर लगाकर पशुओं के ब्लैडर से नली के सहारे पेशाब निकाला जा रहा है।

डा. की मानें तो यूरोलीथियसिस नाम की यह बीमारी पशुओं को पानी कम पीने के कारण शिकार बना रही है। यह जानवर के यूरिनरी ब्लैडर की पथरी खिसक कर यूरेथ्रा (मूत्रनली) को ब्लॉक कर देती है और यूरिनरी ब्लाडर में मूत्र भरने से फट जाता है और मूत्र शरीर में भर जाने से संक्रमण जानवर के पूरे शरीर में फैल जाता है, जिससे पशु की मौत भी हो जाती है। पशुपालक इस बात का ध्यान रखें कि पशु को पेशाब बढ़ाने वाली दवा न दें उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।”

अमरपाल ने बताया कि अगर पशु बार-बार पेशाब करें, पेशाब रुक-रुक करें या फिर पेशाब में खून आए तो पशु को पथरी हो सकती है। इसके अलावा अगर पशु का पेट फूल गया हो या फिर तड़प रहा हो तो भी पथरी हो सकती है।
डॉ. अमरपाल बताते हैं, “हमारे पास जितने पशु आते हैं उनमें एक मिमी से लेकर पांच सेंटीमीटर तक की पथरी निकाली गई है। एक साल में ऐसे 700-800 मामले आते हैं, जिनमें से कुछ पशुओं की मौत भी हो गई है।

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