जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन का यही सही वक्त: फारूक अब्दुल्ला
श्रीनगर (ईएमएस)। जम्मू में भूमि विवाद में भाजपा नेताओं की कथित संलिप्तता को लेकर महबूबा मुफ्ती सरकार की खामोशी पर सवाल उठाते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने राज्य में तुरंत राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक और लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी कभी भी राज्यपाल शासन को बढ़ावा देने वाली नहीं रही है, लेकिन राज्य में बढ़ती अशांति पर काबू पाने का यही एक मात्र रास्ता लगता है।
उन्होंने कहा कि पीडीपी भाजपा सरकार में राज्य तेज़ी से अराजकता की ओर बढ़ रहा है। हमें लगता है कि राज्यपाल के लिए यही सही वक्त है कि वह शासन अपने हाथ में ले लें। विधानसभा को निलंबित कर दिया जाए और राज्य के लोगों को लोकतंत्र के फल का आनंद लेने दें। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष निर्मल सिंह और उप मुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता समेत शीर्ष भाजपा नेताओं द्वारा जम्मू के नगरोटा में सेना के गोला-बारूद डिपो के नजदीक एक कंपनी के मार्फत जमीन खरीदने को लेकर हुए विवाद का हवाला दिया। अब्दुल्ला ने कहा, राज्य सरकार चुप क्यों है? निर्मल ने 2000 वर्ग मीटर के प्लॉट पर मकान का निर्माण करना शुरू कर दिया है, जिसके बाद जम्मू स्थित 16वीं कोर के कमांडर ले जनरल सरणजीत सिंह ने कड़ा विरोध किया। यह प्लॉट 2014 में खरीदी गई 12 एकड़ भूमि का हिस्सा है। अब्दुल्ला के मुताबिक, राज्य के तीनों क्षेत्र ठगा महसूस कर रहे हैं। लोगों को लगता है कि कोई शासन नहीं है और कुछ भी आगे बढ़ता नहीं लगता है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, हाल में आपने देखा होगा कि कैसे एक पूर्व उप मुख्यमंत्री और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष कई भूमि सौदों और अन्य गतिविधियों में शामिल रहे हैं, जो गैर कानूनी हैं। इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है और सेना के अलावा कोई नहीं बोल रहा है। निर्मल सिंह पूर्व उप मुख्यमंत्री हैं, जबकि गुप्ता विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हैं। दोनों ने ही कुछ भी गलत करने से इंकार किया है।