पटना, सनाउल हक़ चंचल-
अगर आप वकील हैं और जरूरतमंद लोगों के लिए जनहित में बिना फीस लिए मुकदमा लड़ने में रुचि रखते हैं, तो आगे चलकर इससे आपको जज बनने में भी मदद मिल सकती है. सरकार मानती है कि सीनियर वकील का दर्जा और जजों की नियुक्ति में यह भी एक अहम पैमाना होना चाहिए. सरकार इस विचार को प्रोत्साहन देने के हक में है.
जनहित में किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बिना फीस के मुकदमा लड़ना ‘प्रो बोनो लॉयरिंग’ कहलाता है. सरकार जजों की नियुक्ति में इस पैमाने को शामिल कराने पर क्या विचार रखती है? यह पूछे जाने पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मीडिया से से कहा कि हमारी सरकार प्रो बोनो लॉयरिंग को प्रोत्साहन देने की इच्छा रखती है. उन्होंने कहा कि जनहित में मुकदमा लड़ने की अपनी एक अहमियत है.
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, लोगों के लिए बिना फीस मुकदमा लड़ने की आदत को प्रोत्साहन देने से न्याय व्यवस्था में सकारात्मक दृष्टिकोण स्थापित करने में मदद मिलेगी. हाल ही में सीनियर वकील का दर्जा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बने दिशा-निर्देशों में इस ‘जनहितकारी वकालत’ को काफी अहमियत दी गई है. इसी कदम के बाद सरकार में इस पर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या इसे जजों की नियुक्ति में भी लागू किया जा सकता है.
न्यायिक पदाधिकारियों की तरह वकीलों को ट्रेनिंग
इसके साथ ही अब नये वकीलों (जूनियर एडवोकेट) को न्यायिक पदाधिकारियों की तर्ज पर ट्रेनिंग दी जाएगी. फिलहाल बिहार के 25 जिलों के वकीलों को इसमें शामिल किया गया है. इनकी ट्रेनिंग के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पटना हाईकोर्ट के जजों से अनुरोध किया है. साथ ही दिसंबर में वकील संघों के चुनावों की अधिसूचना भी दिसंबर में जारी कर दी जाएगी.