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छात्रसंघ की आस में कटी आमरण अनशन की पहली रात

लखनऊ, 27 सितम्बर(हि.स.)। लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर अड़े छात्र संगठनों के लिए मंगलवार की रात आशा भरी रही। नौ दिन चले धरने को आमरण अनशन में बदलने के बाद छात्रों ने छात्रसंघ की आस में पहली रात केवल पानी पी कर गुजार दी। 

जानकारी हो कि लखनऊ विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), समाजवादी छात्रसभा, एनएसयुआई सरीखे छात्र संगठनों के विश्वविद्यालय स्तरीय पदाधिकारी छात्रसंघ के मुद्दे पर एक मंच पर आ गए है और 17 सितम्बर को सभी छात्र संगठनों ने एक धरना शुरू किया। धरना को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन की अरूचि सामने आने के बाद धरना दे रहे छात्रों ने एक मत से नौ दिनों के बाद मंगलवार को आमरण अनशन आरम्भ कर दिया।

इसमें आमरण अनशन करने वाले 12 छात्रों की संख्या पहली रात ही घटकर 11 छात्रों में तब्दील हो गई। आमरण अनशन की पहली रात छात्रसंघ की आस में काट रहे अनशनकारी छात्रों से हिन्दुस्थान समाचार ने वार्ता की। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि प्रत्येक विश्वविद्यालय की भांति लखनऊ विश्वविद्यालय में भी छात्रसंघ होना ही चाहिए। ये आवश्यक है कि छात्रों के हित में विश्वविद्यालय प्रशासन से सीधी वार्ता छात्रसंघ के माध्यम से ही हो। 

उन्होंने बताया कि आमरण अनशन का पहला दिन है। कुल 11 अनशनकारियों ने अन्न का त्याग कर दिया है। जल पर ही अनशन कर रहे है। एबीवीपी के साथ हीं अन्य छात्र संगठनों के पदाधिकारी भी इसमें साथ है। उन्होंने बताया कि छात्रों का चल रहा धरना समाप्त कराने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने मेस के भीतर हुई तोड़फोड़ के बाद पुलिस को यहां बैठे छात्रों का नाम दे दिया है। ये गलत है। इसकी एबीवीपी पूरजोर तरीके से भत्सर्ना करती है। प्रशासन के लोगों को झूठे केस नही बनाने चाहिए। 

वहीं समाजवादी छात्र सभा के आशीष मिश्रा ने बताया कि छात्रसंघ बहाली को लेकर आंदोलन शुरू हो चुका है। अभी तो सिर्फ आमरण अनशन तक ही हम आये है। अगर छात्रसंघ की मांग नही मानी गयी तो आगे आंदोलन उग्र भी होगा। 

ज्ञातव्य हो कि अनशनकारी छात्रों में एबीवीपी के सौरभ सिंह बजरंगी, अजीत प्रताप सिंह और अनुराग तिवारी, समाजवादी छात्रसभा के माधुरी सिंह, सृजन शुक्ला, आशीष मिश्रा, महेन्द्र और हिमांशु, एनएसयुआई के गौरव त्रिापाठी समेत 11 संख्या बनी हुई है। 

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