चूहा घोटाला : चूहा मारने का ठेका लेने वाली संस्था का पता भी फर्जी
मुंबई (ईएमएस)। वरिष्ठ भाजपाई और महाराष्ट्र के पूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे ने विधानसभा में भाजपा सरकार के कार्यकाल में मंत्रालय में हुए जिस चूहा घोटाला का पर्दाफाश किया था, उससे जुड़ी कुछ और सनसनीखेज जानकारियां सामने आई हैं। शुक्रवार को पता चला कि मंत्रालय में चूहे मारने का ठेका जिस संस्था को दिया गया, उसका पता ही फर्जी है। मंत्रालय में चूहा मारने का ठेका ‘विनायक मजूर सहकारी संस्था’ को दिया गया था। ठेके के सरकारी दस्तावेज में इस संस्था का पता 118, सी विंग, सूर्यकुंड हाउसिंग सोसायटी लि., गनपाउडर रोड, मझगांव, मुंबई दिया गया है।
शुक्रवार को जब इस पते की खोजबीन की गई तो पता चला कि इस पते पर ‘विनायक मजूर सहकारी संस्था’ का कोई कार्यालय नहीं है। 118 नंबर के इस प्लैट में पिछले 45 साल से शेंडगे परिवार रह रहा है और परिवार के मुखिया कैलाश शेंडगे सरकारी कर्मचारी हैं। वह मझगांव डॉक में नौकरी करते हैं। भाजपा सरकार के राज में सरकार की नाक के नीच मंत्रालय में हुए इस चूहा घोटाले में दूसरा बड़ा खुलासा सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग की तरफ से हुआ है।
विभाग की तरफ से मीडिया को बताया गया है कि मंत्रालय में 3 लाख चूहे नहीं मारे गए, बल्कि चूहे मारने की गोलियों की आपूर्ति के लिए 4 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। जानकारी के मुताबिक, भाजपा सरकार ने मंत्रालय और मंत्रालय से लगी एनेक्स इमारत में चूहे मारने के लिए तीन मई 2016 को दो निविदाएं ‘विनायक मजूर सहकारी संस्था’ के नाम मंजूर की थीं। इन निविदाओं के तहत चूहे मारने की 3,19,400 गोलियों की आपूर्ति की गई थी। इस एक गोली की कीमत डेढ़ रुपये है। इसके लिए सरकार ने 4 लाख, 79 हजार, 100 रुपये खर्च किए हैं। साथ ही विभाग ने यह भी दावा किया एकनाथ खडसे ने जिस आरटीआई से यह जानकारी हासिल की है, उसमें भी यही जानकारी दी गई है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या खडसे के आरोप गलत हैं। उन्होंने विधानसभा में गलत जानकारी दी है?