चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से भी कम हैं किसानों की कमाई !
मुंबई, 13 जून (हि.स.)। किसान आज भी सरकारी मदद और बैंक के कर्ज पर निर्भर हैं, उनकी कमाई सरकार के चतुर्थ श्रेणी से कम है। जबकि ये किसान अन्नदाता हैं, खेतों में फसल उपजाकर देशवासियों का पोषण करते हैं।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में किसानों ने अपना हक पाने के लिए आंदोलन किया और इस आंदोलन से आम जनता परेशान हो गई। सरकार को चाहिए था कि वह किसानों की मांग को उनके हड़ताल पर जाने के पहले पूरा कर देती, पर ऐसा नहीं हुआ। अब तो किसान आंदोलन की आग मध्य प्रदेश और राजस्थान के साथ अन्य राज्यों में फैल चुकी है। किसान कर्ज के बोझ तले दबे बताए जाते हैं। अब सवाल उठता है कि उनका कर्ज कैसे बढ़ता जाता है, उनकी फसलों को उचित भाव क्यों नहीं मिलता? देश के किसानों की आय चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से आखिर कम क्यों है? बताया जाता है कि महाराष्ट्र में लगातार तीन से चार वर्ष अकाल पड़ा और किसानों को कोई आवक हुई ही नहीं। इसलिए बैंकों का कर्ज उनके सिर पर चढ़ता गया और वे सब कर्ज के बोझ तले दबते चले गए।
देश के किसानों और नौकरीपेशा व्यक्तियों की कमाई में इतना अंतर है कि अब किसान के लड़के भी चाहते हैं कि वे नौकरी या व्यवसाय करें। 2016 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार देश के 17 राज्यों के किसानों की वार्षिक कमाई 20 हजार रुपये से कम बताई गई है।