गुजरात में जोर पकड़ रही हिन्दीभाषी मतदाताओं के प्रतिनिधित्व की मांग
अहमदाबाद, 14 नवम्बर (हि.स.)। गुजरात में चल रही चुनावी बयार के बीच हिन्दीभाषी मतदाताओं की ओर से राज्य विधानसभा में प्रतिनिधित्व की मांग जोर पकड़ने लगी है। उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश समेत दूसरे हिन्दीभाषी राज्यों से आए लोग जो गुजरात में लंबे समय से रह रहे हैं, अब अपने अधिकारों की आवाज बुलंद करने के लिए प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं। यह मांग अखिल भारतीय हिन्दी भाषी संघ के मंच से उठ रही है।
अखिल भारतीय हिन्दीभाषी संघ, अहमदाबाद के अध्यक्ष एम.डी. यादव का कहना है कि गुजरात में 1.25 करोड़ हिन्दीभाषी मतदाता हैं। भाजपा व कांग्रेस इन हिन्दीभाषी राज्यों के मतदाताओं के बूते प्रदेश की कई सीटों पर काबिज होती आ रही हैं| हिन्दीभाषी मतदाताओं को राज्य विधानसभा में प्रतिनिधित्व देने पर दोनों ही मौन साधे आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से आने वाले एम.डी. यादव तकरीबन दो दशक से ज्यादाव वक्त से अहमदाबाद में रहते हैं।
यादव के मुताबिक, अहमदाबाद की अमरायवाडी, वटावा, बापूनगर, नरोदा विधान सभासीटों पर हिन्दी भाषी मतदाताओं की बाहुल्यता है। इनका झुकाव जिस ओर होगा उसी दल की इन सीटों पर जीत होती रही है। अब हमारी मांग है कि जो दल हिन्दीभाषी बाहुल्य सीटों पर टिकट देगा, उसका ही हम साथ देंगे।
अहमदाबाद के अलावा अंकलेश्वर, भरूच, वापी और सूरत में भी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश व झारखंड के लोगों की अच्छी खासी तादाद है। इन इलाकों में कई सीटों पर हिन्दीभाषी मतदाता चुनाव नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में हैं।
यादव ने बताया कि 2012 के विधानसभा चुनाव में अहमदाबाद की बापूनगर सीट पर भाजपा ने जगरूपर सिंह राजपूत को उम्मीदवार बनाया था। किंतु, राजपूत को हिन्दीभाषी समाज को प्रतिनिधित्व के नाम पर टिकट नहीं दिया गया, बल्कि उसके अलग सियासी कारण रहे। उन्होंने कहा कि हिन्दीभाषी मंच ने कांग्रेस और भाजपा के प्रदेश नेतृत्व से अपनी मांग के संबंध में अवगत करा दिया है। हमने साफ तौर पर कहा है कि हिन्दीभाषी बाहुल्य सीटों पर उनके ही समाज के व्यक्ति को उम्मीदवार बनाएं, हिन्दीभाषी मतदाता अपने बीच के प्रत्याशी को विजयी बनाकर विधानसभा पहुंचाएगा।
शिक्षा क्षेत्र से जुडे एम. डी. यादव ने कहा कि हमें उम्मीद है कि कांग्रेस-भाजपा राज्य नेतृत्व हमारी मांगों को गंभीरता से लेगा।