गंभीर मामलो में बंद आरोपियों के जमानत के लिए पालघर के अनपढ़ आदिवासियों का इस्तमाल .
केशव भूमि नेटवर्क :=मुंबई और ठाणे की जेलों में डकैती व अन्य गंभीर माले में बंद जम्मू – कश्मीर के आरोपियों को जमानत पर छुड़ाने के लिए कुछ लोगो द्वारा पालघर जिला के मोखाडा के अनपढ़ आदिवासियों को चंद पैसे देकर उनके घर और खेत के कागजात पर आरोपियों का जमानत कराने की कोशिश का मामला सामने आया है ,जिसके लिए भीमा नामक एक आदिवासी को जेल की हवा भी खानी पड़ी है .
बताया जा रहा है की बाबू अब्दूल हक्क खान को 5 डिसेंबर 2014 को मुंबई काळाचौकी पुलिस ने एक गंभीर मामले में गिरफ्तार किया था . उसके बाद पुलिस को गुप्त जानकारी मिली की जम्मू कश्मीर के राजोरी के रहने वाले शफिक अस्लम खान उम्र २१ साल , फजाईल अहमद उर्फ दानिश बागहुसेन खान उम्र करीब २०साल , माजिद फरीद खान उम्र करीब २१साल ,-मजहर हुसेन मोहमद खान उम्र करीब २१साल ,अशपाक मोहंमद अस्लम उम्र करीब ३०साल ,मोहंमद शेख उम्र करीब २८साल , नामक यह सभी आरोपी मुंबई के ठाणे जिला के ठाणे कसारवडवली में रहते है .जिन्हों ने लुट मार जैसी कई गंभीर घटनाओ को अंजाम दिया है .जिसके बाद .इन आतंकवादियो को ठाणे पुलिस ने 5 दिस्मबर 2014 को ठाणे पुलिस ने गिरफ्तार करके इनके पास से भारी मात्रा में हथियार व 6,35 000 कैस और अन्य चीजे बरामद की थी .
इन आरोपियों को जमानत पर छुड़ाने के लिए मोखाडा तालुका के जोगलवाडी गाँव के रहने वाले असलम पठान व उनके कुछ सहयोगियों ने अनपढ़ आदिवासियों का उनके अनपढ़ होने का फायदा उठाते हुए .अपने ही गाँव जोगलवाडी गाँव के रहने वाले भीमा सारकते नामक अनपढ़ आदिवासी को यह कह कर उसके घर और खेत के कागज़ लिए की तुझे लोन दिलाता हु .
उसके बाद उससे कागज़ पत्र लेकर उस पर शशिकांत जाधव नामक पुलिस अधिकरी और मोखाडा तहसीलदार का सिक्का मार कर और झूठे हस्ताक्षर करके पेपर तैयार किया और इस पेपर को बाबू अब्दूल हक्क खान नामक आरोपी के जमानत के लिए भीमा को इस नकली कागजात के साथ मुंबई के माझगाव कोर्ट में जमानत के लिए पेश किया , और उससे पठान ने कहा की अदालत को सिर्फ तुम्हारा नाम और पता ही बताना है। उसके बाद असलम ने भिमा को ५०० रूपये देकर घर भेज दिया। अदालत को जमानत के लिये पेश किये गए कागजात मे गडबड़ी दिखाई दी,जिसके बाद अदालत ने उसके जमानत को रद्द कर दिया,,और 18 डिसेम्बर 2014 को इन कागजात के जाँच के लिए कोर्ट ने आदेश दिया , जिसके बाद यह पता चला की इस कागज पर किये गए पुलिस अधिकरी और तहसीलदार का सिक्का और हस्ताक्षर झूठे है . जिसके बाद भीमा पर केस दर्ज करके उसे आर्थर रोड जेल भेज दिया गया , भीमा के भाई ने भाग दौड़ करके जब भीमा को जमानत पर छुडया उसके बाद यह मामला सामने आया, गाँव वालो का कहना है की असलम ने इसी प्रकार कई अनपढ़ आदिवासियों के कागजात लेकर कई लोगो के जमानत करवाए है .जिसकी जाँच होनी चाहिए की असलम और उनके सहयोगियों का इन आरोपियों के साथ क्या संबंध जो अनपढ़ आदिवासियों को फसा कर उनका जमानत क्यू करवा रहे है .