केंद्र सरकार बताए कि राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को रिहा किया जा सकता है या नहीं: सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली, 23 जनवरी (हि.स.)। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी हत्याकांड मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या हत्या के सात दोषियों को रिहा किया जा सकता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को तमिलनाडु सरकार के मई,2016 के पत्र का जवाब देने का निर्देश दिया। उस पत्र में तमिलनाडु सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को छह हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
पिछले 12 दिसम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि सीबीआई जांच कर रहे तत्कालीन एसपी त्यागराजन के हलफनामे के बाद क्या इस मामले की दोबारा जांच की जा सकती है। केंद्र सरकार ने इस मामले पर अपना हलफनामा दायर कर कहा था कि वे पेरारिवलन की सजा निलंबित करने पर कोई फैसला नहीं कर सकता है क्योंकि इस मामले पर कोर्ट सुनवाई कर रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सवाल है कि सजा निलंबित करने पर फैसला केंद्र लेगा या राज्य लेकिन हम आपसे खासकर पूछ रहे हैं कि आपका सीबीआई के तत्कालीन अधिकारी त्यागराजन के हलफनामे पर क्या कहना है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पेरारिवलन से कहा था कि केवल सजा निलंबित करने तक अपने को सीमित मत कीजिए बल्कि आप केस को दोबारा खोलने के लिए दलील दीजिए।
बतादें कि 14 नवम्बर,2017 को राजीव गांधी हत्याकांड की सीबीआई जांच कर रहे तत्कालीन एसपी त्यागराजन ने कहा था कि उन्होंने जानबूझकर जांच रिपोर्ट से ये हिस्सा हटा दिया था कि उसे 19 वर्षीय अभियुक्त पेरारिवलन के उस हिस्से को हटा दिया था, जिसमें उसने कहा था कि वो यह नहीं जानता है कि वह दो बैटरियां क्यों लाया। उसने ये बैटरियां खरीदीं और सिवरासन को सौंप दिया। इस खुलासे के बाद पेरारिवलन ने अपनी सजा को निलंबित करने की मांग की।
पेरारिवलन के वकील गोपाल शंकरनारायणन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि लिट्टे के तत्कालीन मुख्य हथियार निर्माता केपी उस समय श्रीलंका की जेल में था। तब जांच एजेंसियों ने आईडी के इस्तेमाल को लेकर उससे पूछताछ क्यों नहीं की जबकि एक 19 वर्षीय युवक पेरारिवलन से पूछताछ की गई थी जिसने केवल बैटरी लाकर दी थी। वो पिछले 23 सालों से जेल में बंद है। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि क्या आप भी तमिलनाडु सरकार की इस मांग से सहमत हैं कि पेरारिवलन की उम्रकैद की सजा को खत्म कर दिया जाए।