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किसानों को नहीं मिल रहा हैं भुगतान , 26 करोड़ अटका.

रीवा, 10 जनवरी =  लगभग 1 पखवाड़ा से धान की बिक्री करने वाले किसानों का भुगतान नहीं मिल पा रहा और अब तक 26 करोड़ 35 लाख रुपए का भुगतान किसानों का अटका पड़ा है। वे अपनी धान का पैसा प्राप्त करने के लिए इंतजार करने के साथ ही विभाग और बैंक के बीच चक्कर भी लगाने लगे हैं।

कारण यह कि शासन की गाइड लाइन के अनुसार धान की बिक्री करने वाले किसानों को समर्थन मूल्य पर तीन दिन के अंतराल में पैसे का भुगतान किए जाने का नियम है। लेकिन भुगतान अटक जाने के कारण जहां यह राशि करोड़ों में पहुंच गई है वहीं किसान धान के पैसे के लिए परेशान हैं। मिली जानकारी के अनुसार 28 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य में धान बेचने के लिए पंजीयन कराया था। अब तक करीब 16 हजार किसानों ने 10 लाख क्विंटल से अधिक धान समर्थन मूल्य में बिक्री किए हैं। उक्त किसानों का 149 करोड़ 70 लाख रुपए का भुगतान नागरिक आपूर्ति निगम व सहकारी बैंक के माध्यम से होना है। इसमें से 123 करोड़ 35 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। जबकि 26 करोड़ 35 लाख रुपए का भुगतान किसानों का अटक गया है।

किसानों ने धान की बोनी करने के लिए जिला सहकारी बैंक के समितियों के माध्यम से कर्ज लेकर बोनी का काम पूरा किए थे। वहीं कई किसान धान के बीज और खाद का उठाव भी कर्ज लेकर किए हैं। पैसे समय पर न मिलने के कारण जहां किसानों को समिति का पैसा जमा करने के लिए चिंता हो रही है वहीं जिला सहकारी बैंक कर्ज में मर्ज की तर्ज पर भी काम करता नजर आ रहा है। बताया जा रहा है कि बगैर भुगतान किए ही किसानों की कमाई को कर्ज में मर्ज कर दिया गया है। खेती के समय सहकारी बैंक से किसानों ने जो कर्ज लिया था उसकी वसूली समर्थन मूल्य पर बेचे गए धान से किया जा रहा है। जिला सहकारी बैंक कुछ इसी तरह से लगभग 8 करोड़ रुपए की वसूली किसानों से कर चुका है।

जिले में धान खरीदी के लिए 56 केन्द्र बनाए गए हैं। समर्थन मूल्य पर 10 लाख 66 हजार क्विंटल धान की खरीदी की गई है। लगभग 16 हजार किसानों से यह धान की खरीदी नागरिक आपूर्ति निगम ने की है। इसमें से 9 लाख क्विंटल धान का परिवहन कर गोदामों में सुरक्षित करवाया गया है। जबकि डेढ़ से दो लाख क्विंटल के बीच धान केन्द्रों में अभी भी रखी हुई है।

इस वर्ष किसानों ने धान की खेती करने में रुचि ली थी और उनकी सोच के मुताबिक प्रकृति ने भी अच्छा साथ देते हुए वर्षाकाल में धान की फसल के लिए पर्याप्त बारिश हुई थी। प्रकृति का मौसमी मिजाज भी बराबर फसल के हिसाब से बना रहा। जिसके चलते जिलेभर में इस वर्ष धान की बम्फर पैदावार हुई है। यही वजह है कि प्रशासन द्वारा बनाए गए केन्द्रों में किसान पर्याप्त मात्रा में धान बिक्री करने के लिए लेकर पहुंच रहे हैं।

धान की अच्छी आवक होने के कारण विभाग उक्त धान की खरीदी तो कर रहा है, लेकिन खरीदी में व्यापक अव्यवस्थाएं भी सामने आ रही हैं। केन्द्रों में जहां किसान अपनी धान की बिक्री करने के लिए कई दिनों तक लाइन में खड़ा रहता है वहीं किसानों को स्वयं धान तौलनी पड़ रही है। बताया तो यहां तक जा रहा है कि धान की बिक्री करने के लिए केन्द्रों में दलाल सक्रिय हैं और किसान और केन्द्र के कर्मचारियों के बीच दलाली प्रथा के चलते किसानों को इससे सर्वाधिक समस्याएं आ रही हैं।

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