कांग्रेस का प्रधानमंत्री पर तंज, देश का मजदूर किसान जवान मरे लेकिन बादशाह सलामत रहे
नई दिल्ली, 08 नवंबर (हि.स.)। इंडियन नेशनल कांग्रेस (कांग्रेस) ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘तुगलक बादशाह’ करार देते हुए एक कविता के माध्यम से ‘नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी)’ के फैसले पर हमला बोला। कांग्रेस प्रमुख प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बुधवार को ‘बादशाह सलामत रहे’ कविता के माध्यम से कहा, ‘शतरंज की बिसात बिछी है, नोटबंदी की राख बिछी है, कुछ यहां मरे, कुछ वहां मरे, प्यादे तो प्यादे होते हैं, झूठे सब वादे होते हैं, उनका क्या …बादशाह सलामत रहे। कुछ नन्हें मरे अस्पतालों में, कुछ मरे रेल की चालों में, सत्ता के मकड़जालों में, हादसे तो होते रहते हैं, उनका क्या … बादशाह सलामत रहे। कुछ मरे बैंक की कतारों में, कुछ जीएसटी के भारों में, अर्थव्यवस्था डोल रही है, जुमलों की पोल खोल रही है, उनका क्या … बादशाह सलामत रहे। जमीर मरे ईमान मरे, देश का मजदूर किसान मरे, आतंक से लड़ता जवान मरे, उनका क्या … बादशाह सलामत रहे। वे अपनी बात सुनाते हैं, वे मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, बैठे हैं झूठ के आसन पर, अहंकार के भाषण पर, वे घिरे हैं ख़िदमतदारों से, वे घिरे हैं चाटुकारों से, इस जनता की आवाज मरे, बेबस नौजवान मरे, मजदूर-जवान-किसान मरे, उनका क्या … बादशाह सलामत रहे।
सुरजेवाला ने कहा, ‘दिल्ली की सल्तनत द्वारा नोटबंदी का फरमान कोई नया नहीं था। 14 वीं सदी के शासक मुहम्मद बिन तुग़लक़ ने भी नोटबंदी का फरमान जारी कर मूल मुद्रा की जगह काले सिक्के जारी किए थे। देश में बर्बादी फैलाई थी। तुगलक भी अपने मनमाने निर्णयों के लिए जाना जाता था, ऐसा ही तुगलकी आदेश आज के तानाशाह बादशाह (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) द्वारा जारी किया गया था और देश को बर्बाद किया गया था।’ उन्होंने कहा, ‘आज 1 वर्ष बीत गया मगर सूट-बूट वाले बादशाह के द्वारा लगाई गई आग को देश की जनता अपनी आंख के आंसू से बुझा रही है। न खाऊंगा न खाने दूंगा कहने वाले नोटबंदी के नाम पर देश की अर्थव्यवस्था और आम लोगों की आय को ही खा गए।
वे आज जश्न मना रहे हैं, नोटबंदी की पहली बरसी पर लुटेरे लूट का उत्सव मना रहे हैं। दूसरी तरफ आम देशवासी रोजगार और रोटी खोने का अफसोस मना रहे हैं। 70 साल में पहली बार किसी शासक ने देश के 130 करोड़ जनता को अपराधी घोषित कर दिया।’ सुरजेवाला ने कहा, ‘क्या वह गृहिणी अपराधी है जिसने मुसीबत के लिए बचत को जमा किया था। क्या वह व्यापारी अपराधी है जो नगदी में व्यापार करता है। क्या वह दिहाड़ी मजदूरी करने वाला मजदूर अपराधी है। क्योंकि प्रधानमंत्री ने 130 करोड़ देशवासियों को अपराधी घोषित कर दिया था। आज एक साल बाद उन्हें स्पष्ट करना चाहिए।’ सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री के भाषणों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘पहले जनता को कहा था कि कालाधन पकड़ेंगे, फिर कहा फर्जी नोट पकड़ेंगे, फिर कहा कि नक्सलवाद, आतंकवाद और उग्रवाद रोकेंगे। 99% पैसा तो वापस आ गया फिर आखिर कालाधन गया कहां?, फर्जी नोट कहां गए?, उग्रवाद और नक्सलवाद रुका नहीं तो यह नोटबंदी की तालाबंदी क्यों लागू की गई| देश की अर्थव्यवस्था को 3 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।
जीडीपी 2 प्रतिशत कम हुई। उद्योग-धंधे चौपट हो गए। संगठित क्षेत्र में 15 लाख और असंगठित क्षेत्र में 3 करोड़ 72 लाख रोजगार चले गए। क्या अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचा और रोजगार छीनकर मोदी जी राष्ट्र निर्माण कर रहे हैं?, बैंकों की लाइन में निर्दोष लोगों की जान चली गई। रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया (आरबीआई) की स्वायत्तता को तहस-नहस कर दिया। मंत्रिमंडल को 4 घंटे कमरे में नजर बंद कर दिया। न किसी विशेषज्ञ की राय ली, न किसी अर्थशास्त्री की, तो क्या ऐसे चलेगा देश का प्रजातंत्र?’ उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष ठीक रात 8 बजे कालेधन पर रोक लगाने के उद्देश्य से 500 और 1000 के नोट बंद करने के फैसले का ऐलान किया था। इसके बाद आरबीआई द्वारा 500-2000 के नए नोट जारी किए गए थे।