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कर्ज चुकाने के लिए किडनी बेचने को मजबूर किसान, जिलाधिकारी से मांगी अनुमति.

मुंबई, 09 जनवरी =  उस्मानाबाद के भूम जिले एक के किसान अरुण गोरे अपना साढ़े 11 लाख का कर्ज वापस करने के लिए अपनी किडनी बेचना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने बाकयदा जिलाधिकारी उस्मानाबाद को पत्र भी लिखा है और कानूनी अनुमति भी मांग रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार अरुण गोरे का परिवार भी कोई बहुत बड़ा नहीं है। पिछले चार साल से यहां सूखे की वजह से कर्ज लेकर कृषि कार्य करना उन्हें कर्जदार बना दिया है। इतना ही नहीं, भूम जिले में ही उनकी एक एकड़ से अधिक खेती की जमीन को किसी योजना के लिए ली गई थी , लेकिन उसका मुआवजा लेने के लिए 20 साल तक कानूनी लड़ाई तक लड़नी पड़ी थी। यही नहीं, आज तक उन्हें महज 6 लाख 50 हजार का मुआवजा ही मिल सका है , जबकि उन्हें 15 लाख मुआवजा मिलने की उम्मीद थी। उन्होंने कर्ज लेकर खेती किया ,लेकिन सूखे की वजह से उन्हें नुकसान ही उठाना पड़ा, जिससे उनपर बैंको का व अन्य लोगों को 11 लाख 50 हजार रुपये कर्ज हो गया है।

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इसकी अदायगी के लिए अगर अरुण गोरे साहुकारों से कर्ज लेते हैं तो उनकी बचीखुची जमीन भी साहुकार के कब्जे में जाने का डर उन्हे सता रहा है। आत्महत्या करने से बूढ़े मां बाप, पत्नी व दो अबोध बच्चों पर आने वाले संकट से उनकी रूह ही कांप जाती है। इस बीच उन्होंने इस संबंध में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से भी मुलाकात करने का प्रयास किया था,लेकिन बिना विधायक अथवा सांसद की सिफारिश के अरुण गोरे उद्धव ठाकरे से वे मिल ही नहीं नहीं सके। इसलिए उन्होंने कर्ज की अदायगी के लिए अपनी किडनी बेचने का मन बना लिया है और जिलाधिकारी से अनुमति मिलनी के बाद वह किडनी बेचकर कर्जमुक्त होना चाहते हैं।

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हालांकि इस बाबत जिलाधिकारी कार्यालय से अभी तक उन्हें अनुमति नहीं मिल सकी है। इस तरह की स्थिति और न जाने किसानों की होगी , यह तो तो उनके जैसे अन्य किसानों का पता लगाने पर मिल सकेगा।

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