कभी मां बेचती थीं अंडे , आज बेटा बन गया द. कोरिया का राष्ट्रपति
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सोल, 10 मई = दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन उदारवादी विचार और जुझारू स्वभाव के इंसान हैं। वह मानवीय मूल्यों और समतावादी समाज बनाने के पक्षधर रहे हैं। मून की सोच और सुर दोनों उनके पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों भिन्न है। वह 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में पार्क गुन हे से मामूली अंतर से हारे थे।
विदित हो कि भ्रष्टाचार के आरोप में पार्क गुन हे अब जेल में बंद हैं, जबकि एक शरणार्थी के बेटे मून दक्षिण कोरियाई सत्ता के शिखर पर पहुंच गए हैं। मून जे-इन को पार्क गुन हे के पिता और पूववर्ती राष्ट्रपति का विरोध करने की वजह से जेल में भी दिन बिताने पड़े थे।
मून उत्तर कोरियाई शरणार्थी के पुत्र हैं। उनका शुरुआती जीवन ग़रीबी में बीता। उनकी मां उन्हें पीठ पर बिठा कर गुज़ारे के लिए अंडे बेचा करती थीं और आज वह देश का नेतृत्व कर रहे हैं। कोरियाई युद्ध के समय मून के माता-पिता उत्तर से पलायन कर गए थे। 1953 में जब मून जे-इन का जन्म हुआ तब उनका परिवार दक्षिणी द्वीप जेओजे में रहता था।
मून की जीवनी के मुताबिक उनके पिता युद्धबंदियों के एक शिविर में काम करते थे, जबकि उनकी मां बंदरगाह नगर बुसान की सड़कों पर अंडे बेचा करती थीं।
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मून उदारवादी राष्ट्रपति रॉह मू-ह्यून के वरिष्ठ सहयोगी के तौर पर काम कर चुके हैं। राष्ट्रपति रॉह मू-ह्यून ने 2009 में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद आत्महत्या कर ली थी। नए राष्ट्रपति उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध और दबाव बनाए रखते हुए बातचीत करने के पक्ष में हैं, जबकि पूर्व राष्ट्रपति पार्क गुन हे ने उत्तर कोरिया से सभी रिश्ते ख़त्म कर लिए थे।
वह उत्तर कोरिया के हथियार कार्यक्रम पर लगाम न कस पाने के लिए पूर्व राष्ट्रपतियों की आलोचना करते रहे हैं। अब अर्थव्यवस्था में सुधार और कोरियाई प्रायद्वीप में शांति उनकी पहली प्राथमिकता है।