कब सुरक्षित होंगी देश की विधानसभाएं ?: रमेश ठाकुर
विशेष ;16 जुलाई : संसद के मानसून सत्र के शुरू होने के ठीक पांच दिन पहले यूपी विधानसभा में विस्फोटक सामाग्री के मिलने से सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर तमाम सवाल उठ खड़े हो गए हैं। सोमवार 17 जुलाई से संसद सत्र शुरू होने जा रहा है। राजनीतिक दल हलकान हैं, जांच एजेंसियों में हडक़ंप मच गया है। कहा जाता रहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा की सुरक्षा को भेदना लगभग नामुमकिन होता है लेकिन फिर भी चूक सामने आ गई। इस घटना ने संसद पर हुए हमले की याद ताजा कर दी है। विधानसभा की कार्रवाई के दौरान नेता विपक्ष की सीट के नीचे करीब डेढ़ सौ ग्राम पीईटीएन विस्फोटक सामाग्री का मिलना आमूल सुरक्षा के दावों की कलई खोलने के लिए पर्याप्त है।
पीईटीएन को दुनिया के सबसे खतरनाक विस्फोटकों में से एक माना जाता है। सवाल उठता है कि पीईटीएन विधानसभा के अंदर कैसे पहुंचा! इसे आतंकी साजिश कहा जाए, या फिर कुछ और? यह सवाल अब हर किसी को परेशान कर रहा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा की सुरक्षा घेरे को भेदकर इतना आसान नहीं है। फिर यह सब कैसे संभव हुआ। गौरतलब है कि चुनाव जीतने के बाद से ही यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कई आतंकी संगठनों से धमकियां मिल चुकी हैं। उसी को ध्यान में रखते हुए उनकी और विधानसभा की सुरक्षा काफी मजबूत की गई है। बावजूद इसके इतनी बड़ी हिमाकत की कोशिश हुई।
यूपी विधानसभा के अंदर विस्फोटक मिलने के बाद दिल्ली में संसद भवन की सुरक्षा की भी जांच पड़ताल की जा रही है। इसके लिए 60 लोगों की स्पेशल टीम और सात खोजी कुत्ते लगाए गए। मेटल डिटेक्टर और अन्य लेटेस्ट उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। सेंट्रल हॉल समेत लोकसभा, राज्यसभा में सभी सीटों की जांच की जा रही है। मॉनसून सेशन 12 अगस्त को समाप्त होगा। जहन में एक सवाल बार-बार उठता है कि जब कहीं कोई घटनाएं घट जाती हैं तभी जांच-पड़ताल का श्वांग क्यों किया जाता है। घटना के बाद सभी जांच एजेंसिया सतर्कता से काम करने का दम भरने लगती हैं, अलर्ट जारी कर दिया जाता है। मामला जैसे ही शांत होता है, कहानी फिर पुराने ढर्रे पर आ जाती हैं।
फिलहाल पूरे मामले की जांच राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी यानी एनआईए करेगी। उसके बाद ही सच्चाई का पता चल सकेगा। यूपी विधानसभा में मौजूदा सुरक्षा चूक के बाद अब पूरे देश की विधानसभाओं में कड़ी चुस्त सुरक्षा चौकसी की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। घटना के बाद योगी आदित्यनाथ ने सुरक्षा के बारे में जो ग्यारह सूत्र बताए हैं, उस पर विचार करने की दरकार है। नाराजगी के लहजे में उन्होंने कहा है कि सबसे पहले तत्काल प्रभाव से देश के सबसे बड़े राज्य के सबसे पुराने विधानमंडल को महफूज किया जाए।
राज्य की किसी भी संस्था की सुरक्षा समाज के भाईचारे सद्भाव से भी जुड़ी होती है। अगर समाज में कदम-कदम पर नफरत और असुरक्षा होगी तो राज्य की संस्थाओं पर उसका असर भी जाएगा। इसलिए मुख्यमंत्री योगी के अल्पकालिक सुझावों को मानने के साथ दीर्घकालिक उपायों पर भी विचार होना चाहिए। विधानसभाएं शुरू होने से पहले सभी जांच एजेंसियों को सुरक्षा से जुडी जानकारियों को सीएम व विधानसभा अध्यक्षों को अवगत कराना चाहिए। सुरक्षा को लेकर अगर कोई शक है तो प्रोग्राम में तब्दीली की जानी चाहिए। साथ ही उक्त स्थान पर अलर्ट घोषित किया जाए। घटनाओं का रोकने के लिए पूर्व में इस तरह के इंतजाम किए जा सकते हैं।
गौरतलब है कि जो विस्फोटक यूपी विधानसभा में मिला है, उसकी मात्रा पांच सौ ग्राम तक होती तो यह सदन को ध्वस्त करने के लिए काफी होता। पीईटीएन विस्फोटक को प्लास्टिक विस्फोटक भी कहते हैं। इसकी मारक क्षमता की बात करें तो महज 50 से 100 ग्राम पाउडर एक कार या कमरे को उड़ाने के लिए पर्याप्त माना जाता है। यह आसानी से पकड़ में नहीं आता। मेटल डिटेक्टर और जासूसी कुत्ते भी फेल हो जाते हैं। पीईटीएन सफेद रंग का होता है, चीनी जैसा दिखता है लेकिन धमाका करने में बेहद खतरनाक होता है। इसका प्रयोग करने वालों के मकसद और उनकी मंशा की पड़ताल करने की जरूरत है।
एक सवाल उठता है कि कौन है जो राजनीतिक-सामाजिक दृष्टिकोण से उत्तर प्रदेश को अस्थिर करना चाहता है। यह बात भी सर्वविधित है कि योगी के मित्रों की संख्या से कहीं ज्यादा उनके दुश्मनों की संख्या है। वह कईयों के आंखों में कांटों की भांति चुभ रहे हैं। हाल ही में उनको दुबई से भी जान से मारने की धमकी मिली थी। हालांकि उनकी सुरक्षा की समीक्षा समय-समय पर की जाती है। लेकिन पीईटीएन का मिलना सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है। इशारा साफ कि योगी की सुरक्षा में कहीं न कहीं चूक हो रही है। विधानसभा में इस विस्फोटक सामग्री से होने वाली घटना का हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते। बहुत बड़ी जनहानि हो सकती थी।
केंद्र सरकार को इस घटना पर उचित कदम उठाना चाहिए। सुरक्षा किसी भी राज्य व्यवस्था का पहला कर्तव्य है और अगर वह कानून बनाने वालों और सरकार चलाने वालों की सुरक्षा नहीं कर पाएगी तो उन नागरिकों की सुरक्षा कैसे करेगी, जिन्होंने उन्हें यह काम दिया है। देश के आम नागरिकों की सुरक्षा और विशिष्ट जन की सुरक्षा में एक स्पष्ट नीति के तहत तर्कसंगत लोकतांत्रिक अनुपात होना चाहिए। यह शिकायतें आम हैं कि सुरक्षा बलों का बड़ा हिस्सा विशिष्ट जन की सुरक्षा में लगा रहता है और आम नागरिक असुरक्षित रहता है।
जाहिर है इसके पीछे सुरक्षा व्यवस्था का विशिष्टीकरण और राजनीतिकरण भी काफी जिम्मेदार है। इसीलिए सुरक्षा व्यवस्था को समर्थ बनाने के लिए पुलिस सुधार का सुझाव अक्सर दिया जाता है। उस बारे में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद विभिन्न राज्य उसे टाल रहे हैं। वजह साफ है कि सुरक्षा व्यवस्था वास्तव में सुरक्षा से ज्यादा राजनीति से जुड़ गई है और जिन बेगुनाह और भले लोगों को जाति, धर्म, लिंग, पंथ और भाषा की परवाह करते हुए सुरक्षा दी जानी चाहिए, वह उन्हें नहीं मिलती। उल्टे सुरक्षा उन्हें मिलती है जो राजनीतिक रूप से रसूखदार हैं।
यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) आनंद कुमार की मानें तो पीईटीएन विस्फोटक सामाग्री से ब्लास्ट के लिए एक्सप्लोसिव, डेटोनेटर और पावर पैक तीनों की जरूरत होती है। विधानसभा में डेटोनेटर नहीं मिला था। एक बात सामने निकलकर आई है कि वर्ष 2011 में दिल्ली हाई कोर्ट परिसर में विस्फोट में भी पीईटीएन का इस्तेमाल किया गया था। इस विस्फोट में 17 लोगों की मौत हो गई थी। पीईटीएन को लेकर देश की पुलिस इस्राइल की तर्ज पर खुद को ऐसी टेक्नॉलजी से लैस कर रही है, जो पीईटीएन जैसे तमाम विस्फोटकों को डिटेक्ट करने और सुरक्षित तरीके से डिफ्यूज करने में सक्षम हो। इस दिशा में कई साल से काम हो रहा है लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक रिजल्ट सामने नहीं आया।
सबसे सर्तक मानी जाने वाली दिल्ली पुलिस ने पिछले तीन महीने में दर्जनों उपकरण खरीदे हैं। इनमें 23 एक्सप्लोसिव डिटेक्टर हैं, जो पता लगाने में मुश्किल पीईटीएन को भी ढूंढ सकते हैं। बेहद हल्के और आसानी से सिग्नल देने वाले 21 डीप सर्च मेटल डिटेक्टर भी अब दिल्ली पुलिस के पास हैं। विस्फोटक को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाकर डिफ्यूज करने में सक्षम 24 हुक एंड लाइन मशीन भी खरीदी गई हैं। इनके अलावा, दूर से ही विस्फोटक को डिफ्यूज करने वाले 26 टेलिस्कोपिक मैनीपुलेटर्स भी पुलिस की ताकत बन चुके हैं। सुरक्षा के लिहाज से और उपकरण खरीदने का काम भी चल रहा है।
यूपी विधानसभा के अंदर पीईटीएन नामक जो विस्फोटक मिला है उससे सुरक्षा में सेंध का गंभीर मामला सामने आ रहा है। जांच में यह घातक प्लास्टिक विस्फोटक पेंटाइरिथ्रिटोल ट्राइनाइट्रेट (पीईटीएन) पाया गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी से जांच कराने की सिफारिश की। हालांकि लोकल पुलिस ने अज्ञात शख्स के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और अपने स्तर से जांच शुरू कर दी है। विधानसभा में बुधवार को नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी की कुर्सी के पास सफाई स्टाफ को पेपर में लिपटा करीब 150 ग्राम सफेद पाउडर मिला था। इसके बाद डॉग स्क्वॉड से पूरे विधानसभा कक्ष की छानबीन कराई गई। दो घंटे बाद तक फारेंसिक टीम पता नहीं कर सकी कि यह पाउडर आखिर क्या है। इसके बाद पाउडर को फारेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा गया। देर शाम लैब की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यह पाउडर पीईटीएन नाम का बेहद खतरनाक एक्सप्लोसिव है। इस बीच, 15 जून को विधानसभा उड़ाने की धमकी देने के आरोपी शख्स को देवरिया से गिरफ्तार किया गया है।( रमेश ठाकुर )