वाशिंगटन (ईएमएस)। महिलाओं को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पुरुषों के मुकाबले कम प्राथमिकता मिलती है। क्या आफ जानते हैं, ऐसा क्यों होता है? ऐसा, दरअसल, एक विशेष एल्गोरिदम की वजह से होता है। इसमें पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का प्रोफाइल सोशल मीडिया के दूसरे यूजर को सुझाव के रूप में कम दिखाया जाता है। इससे महिला यूजर को अपना नेटवर्क बढ़ाने का कम मौका मिलता है।
सोशल मीडिया और साझा अर्थव्यस्था ने आज नए-नए अवसर पैदा किए हैं, लेकिन अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि सोशल मीडिया में लैंगिक और जातीय भेदभाव अभी भी बना हुआ है। उन्होंने फोटो शेयर करने वाली साइट इंस्टाग्र्राम के पांच लाख पचास हजार यूजर के अकाउंट का अध्ययन किया। इसमें ज्यादा संख्या महिलाओं की थी। शोध में पाया गया कि 48 प्रतिशत महिलाओं के मुकाबले 52 फीसद पुरुषों के एक फोटो पर औसतन दस “लाइक” मिले।
डार्क चॉकलेट खाने वालों के लिए यह एक अच्छी खबर , जरुर पढ़े
हालांकि इसके पीछे होमोफिली (सैमलैंगिकता) की भूमिका अधिक रही। शोधकर्ताओं ने पाया कि पुरुषों ने दूसरे पुरुषों के फोटो को अधिक समय दिया, उनके फोटो पर लाइक और कमेंट किया जबकि महिलाओं ने दूसरी महिलाओं के फोटो पर कम समय बिताया और लाइक व कमेंट भी कम किए। इसी फार्मूले पर यह सोशल मीडिया का एल्गोरिदम काम करता है। इसी आधार पर नए पुरुष यूजर को दूसरे यूजर के साथ जुड़ने का सुझाव दिया जाता है और वह सोशल प्लेटफॉर्म पर अपने नेटवर्क को महिलाओं के मुकाबले तेजी से बढ़ाता है।