इस मेले में पान खिलाकर लडकियों को भगा ले जाते है लड़के
मध्य प्रदेश: वैसे तो फाल्गुन का रंग चारो ओर दिखने लगा हैं . लेकिन मध्य प्रदेश के निमाड़ में फाल्गुन का अपना ही महत्त्व हैं . 16 मार्च से निमाड़ में भगोरिया मेला शुरू हो गया हैं जो होली का ही एक रूप है . यह मध्य प्रदेश के मालवा अंचल (धार,झाबुआ,खरगोन आदि) के आदिवासी इलाकों में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। भगोरिया के समय धार, झाबुआ, खरगोन आदि क्षेत्रों के हाट-बाजार मेले का रूप ले लेते हैं और हर तरफ फागुन और प्यार का रंग बिखरा नजर आता है।
भगोरिया हाट-बाजारों में युवक-युवती बेहद सजधज कर अपने भावी जीवनसाथी को ढूँढने आते हैं। इनमें आपसी रजामंदी जाहिर करने का तरीका भी बेहद निराला होता है। सबसे पहले लड़का लड़की को पान खाने के लिए देता है। यदि लड़की पान खा ले तो हाँ समझी जाती है। इसके बाद लड़का लड़की को लेकर भगोरिया हाट से भाग जाता है और दोनों विवाह कर लेते हैं। इसी तरह यदि लड़का लड़की के गाल पर गुलाबी रंग लगा दे और जवाब में लड़की भी लड़के के गाल पर गुलाबी रंग मल दे तो भी रिश्ता तय माना जाता है।
भगोरिया का इतिहास .
भगोरिया राजा भोज के समय लगने वाले हाटों को कहा जाता था। इस समय दो भील राजाओं कासूमार औऱ बालून ने अपनी राजधानी भागोर में विशाल मेले औऱ हाट का आयोजन करना शुरू किया। धीरे-धीरे आस-पास के भील राजाओं ने भी इन्हीं का अनुसरण करना शुरू किया जिससे हाट और मेलों को भगोरिया कहना शुरू हुआ। वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का मानना है क्योंकि इन मेलों में युवक-युवतियाँ अपनी मर्जी से भागकर शादी करते हैं इसलिए इसे भगोरिया कहा जाता है।