इन गड़बड़ियों पर नहीं पड़ती नजर तो , इन जानवरों के साथ सनी लियोन भी यूपी में डालती वोट !
बलिया : मतदाता सूची में गड़बड़ियों की खबरें कोई नई बात नहीं हैं , समय-समय पर इस तरह की खबरे आती रहती हैं. मगर इस बार उत्तर प्रदेश के बलिया से और भी हैरान करने वाली घटना सामने आई है. पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया में मतदाता सूची को अपडेट करने के दौरान एक अजीब गड़बड़ी सामने आई हैं. यहां की मतदाता सूची की अपडेटेड लिस्ट में एक्ट्रेस सनी लियोनी से लेकर हाथी, कबूतर और हिरन भी की भी तस्वीरें हैं. दरअसल, राज्यों के अधिकारियों को उस वक्त कठिन सवालों का सामना करना पड़ा जब मतदाता सूची की दो लीक हुए पृष्ठों पर जिले के निवासियों के नाम पर हाथी, कबूतर, हिरण और फिल्म अभिनेत्री सनी लियोन की तस्वीरें छपी दिखीं.
एक लीडिंग वेबसाइट के अनुसार , मीडिया में लीक हुए दो पेजों में 51 वर्षीय महिला के नाम पर फिल्म स्टार सनी लियोन की तस्वीर दिखाई दे रही है. जबकि 56 साल के बुजुर्ग शख्स के नाम की जगह हाथी की तस्वीर दिखाई दे रही है. हालांकि, इस अपडेटेड वोटर लिस्ट की अभी भी जांच की जा रही है और इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है. स्थानीय पत्रकारों ने इसे लीक किया और जिला के अधिकारियों से स्पष्टीकरण की मांग की है.
बलिया के जिला प्रशासन के एक सीनियर अधिकारी मनोज कुमार सिंघल ने कहा कि इसे हमारे डाटा ऑपरेटर्स में से किसी एक के द्वारा किया गया है. उसे हाल ही में शहरी इलाके से ग्रामीण इलाके में ट्रांसफर कर दिया गया है. हमने उस शख्स के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराया है और हम इन विवपणों को ठीक कर रहे हैं.
बलिया के एडिशनल जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि हमने 15 अगस्त को पाया कि लगभग 7-8 मतदाताओं के वोटर आईडी छेड़छाड़ की गई है और उनकी तस्वीरों को पक्षियों और जानवरों के साथ बदल दिया गया है. यह स्पष्ट था कि यह हमारे ऑपरेटरों में से किसी एक द्वारा किया गया है. ऑपरेटर विष्णु देव वर्मा को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया.
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गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची अपडेट की जा रही है. स्थानीय समाचार पत्रों की रिपोर्ट के अनुसार, बलिया में इसके लिए 15 जुलाई की डेडलाइन थी. डाटा जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त बूथ-स्तरीय अधिकारियों द्वारा लिस्ट के लिए डाटा प्रदान किया जाता है. डेटा प्रविष्टि ऑपरेटरों द्वारा डेटा को दर्ज किया जाता है और ऑनलाइन मिलान किया जाता है. हालांकि, अंतिम सूची की मंजूरी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दी जाती है और सूत्रों का कहना है कि यह गलती तब सामने आई, जब डेटा की जांच-पड़ताल की जा रही थी.