खबरेदेश

आरोपों में ही गुजर गया ‘आप’ का 2016

नई दिल्ली, 27 दिसम्बर =  2016 में भी आम आदमी पार्टी अपने चिरपरिचित अंदाज में विवादों में घिरी रही। कभी पार्टी डिग्री कांड में तो कभी सीडी कांड में विधायकों का जेल जाने का सिलसिला जारी रहा। पूरे साल पार्टी के 21 विधायकों पर सदस्यता रद्द होने की तलवार लटकी रही। हालांकि विवादों के बीच पार्टी सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल और उनकी टीम, लोगों को पंजाब, गोवा और गुजरात में पार्टी की मौजूदगी का अहसास कराने में सफल रही। साल के अंत में आप ने मंडी समिति के चुनावों में 18 सीटों में से 14 पर जीत दर्ज कर यह जता दिया कि दिल्ली में उसकी जड़ें कितनी गहरी हैं। पार्टी की इस जीत से राजनीतिक विश्लेषक भी भौचक्के रह गए| वहीं केजरीवाल से कांटे की टक्कर लेने वाले दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने इस्तीफा सौंप दिया और दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय को हटाकर मनोज तिवारी को बना दिया गया।

आम आदमी पार्टी (आप) के गठन के बाद से अब तक इसके चार साल के सफर में विवाद परछाई की तरह इसके साथ चलते रहे हैं| यह सिलसिला इस साल इस कदर बढ़ गया कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली इस पार्टी के विस्तार की उम्मीदों और अलग तरह की राजनीति के उसके दावे पर सवालिया निशान लग गए। बीते साल फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करके आप ने विरोधियों के खेमे में यह सिहरन पैदा कर दी थी| कहा जाने लगा था कि आने वाले समय में यह पार्टी दूसरे राज्यों में बड़ी चुनौती बन सकती है, लेकिन जितेंद्र तोमर के फर्जी डिग्री प्रकरण और संदीप कुमार के सीडी कांड के बाद उसे बड़ा झटका लगा। दिल्ली में इस साल गिरफ्तार होने वाले आप विधायकों की संख्या 15 हो गई।

पंजाब से पार्टी के पास चार सांसद होने के बाद इस साल केवल भगवंत मान ही एक मात्र सांसद बचे रहे। हालांकि संसद की सुरक्षा का लाइव विडियो सोशल मीडिया पर शेयर करने बाद उन्हें पूरे शीतकालीन सत्र में सदन से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

आप ने साल, 2016 में शायद यह सोचकर कदम रखा कि वर्ष 2015 की तरह विवाद उसे नहीं घेरेंगे और वह दिल्ली में अपनी जमीन को मजबूत बनाए रखने के साथ ही देश के दूसरे राज्यों खासकर पंजाब, गोवा और गुजरात में अपनी हैसियत को बड़ा करेगी। उसकी यह उम्मीद पूरी तरह परवान नहीं चढ़ सकी और उसे फिर कई विवादों ने घेर लिया। इस बार के विवाद पहले से अलग और कहीं बढ़कर थे।
विवादों के बीच केजरीवाल और उनकी टीम, लोगों को पंजाब, गोवा और गुजरात में पार्टी की मौजूदगी का अहसास कराने में सफल रही| राजनीतिक जानकारों की मानें तो आप पंजाब में सत्ता की दावेदार बनी हुई है जहां अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होना है।

आप के लिए साल 2016 में विवादों की शुरुआत जनवरी महीने में उस वक्त हुई जब सरकारी कर्मचारी से मारपीट के आरोप में दिल्ली के विकासपुरी से पार्टी के विधायक महेंद्र यादव को गिरफ्तार किया गया। केजरीवाल की पार्टी के लिए सर्वाधिक विवादों वाले महीने जुलाई और अगस्त रहे जिनमें पार्टी के कई नेताओं की गिरफ्तारी हुई और कई अन्य विवाद भी खड़े हुए। पंजाब में धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी मामले में राज्य की पुलिस ने 24 जुलाई को दिल्ली के महरौली से आप के विधायक नरेश यादव को गिरफ्तार किया| हालांकि बाद में मामले का मुख्य गवाह अपने बयान से पलट गया।

बीते 21 जुलाई को संगरूर से आप के सांसद भगवंत मान ने संसद भवन परिसर का वीडियो बनाया जिसको लेकर बड़ा विवाद खड़ा हुआ| संसद सदस्यों की मांग पर इस प्रकरण की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भाजपा सांसद किरीट सोमैया के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया। बाद में मान ने बिना शर्त माफी मांगी। इस मामले की जांच करने वाली सोमैया समिति की सिफारिश के आधार पर मान को नौ दिसम्बर को संसद के शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। शीतकालीन सत्र 16 नवम्बर से शुरू हो कर 16 दिसम्बर को संपन्न हुआ और समिति की सिफारिश के आधार पर मान को नौ दिसम्बर को सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया।

जुलाई में एक महिला की हत्या के प्रयास मामले में अमानुल्ला खान को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया और एक महिला रिश्तेदार की शिकायत के बाद फिर से उनकी गिरफ्तारी हुई। नवम्बर महीने में वक्फ मामले में सीबीआई ने खान पर मामला दर्ज किया। साफ-सुथरी राजनीति का दावा करने वाली आप की छवि को धूमिल करने वाला सेक्स सीडी प्रकरण 31 अगस्त को सामने आया। दिल्ली सरकार के मंत्री संदीप कुमार एक सीडी में दो महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखे गए। सीडी सामने के साथ ही केजरीवाल ने संदीप को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। इस साल अगस्त महीने में ही आप को एक और विवाद ने घेरा जब संगीतकार एवं आप के समर्थक विशाल ददलानी ने जैन धर्मगुरु तरुण सागर महाराज को लेकर विवादित ट्वीट किया। विवाद बढ़ने के बाद 27 अगस्त को विशाल ददलानी ने अपने को राजनीति से अलग किया और माफी मांगी।

पंजाब में सरकार बनाने की कोशिशों में लगी आप को इस साल अगस्त में उस वक्त बड़ा झटका लगा जब राज्य इकाई के संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर के टिकट के लिए पैसे मांगने वाले एक कथित वीडियो की बात सामने आई। विवाद बढ़े तो आप ने छोटेपुर को बर्खास्त कर दिया। छोटेपुर ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को साजिश करार दिया और इसके लिए आप के ही कुछ नेताओं पर आरोप लगाया। आप ने छोटेपुर की जगह गुरप्रीत गुग्गी को पंजाब इकाई का संयोजक बनाया। राज्य में आप की अंदरूनी कलह भी सामने आई और पंजाब इकाई के कुछ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने ‘बाहरी नेताओं’ पर गंभीर लगाये। कुछ कार्यकर्ताओं ने यौन शोषण तक के आरोप लगाये| हालांकि आप ने इन आरोपों से इनकार किया और इसे विरोधियों की साजिश करार दिया। विवादों के बीच आप के लिए कुछ सुखद खबरें भी आईं। उसके ‘मिशन विस्तार’ को ताकत मिलती दिखी। खासकर पंजाब में आप के पक्ष में बड़े जनसमर्थन की बात सामने आई।

कुछ सर्वेक्षणों में पार्टी की सरकार बनने का दावा भी किया गया। भाजपा छोड़ चुके नवजोत सिंह सिद्धू से आप की बात बनते-बनते बिगड़ गई| हालांकि पार्टी ने बैंस बंधुओं से गठबंधन किया। केजरीवाल ने पंजाब में कई दौरे और सभाएं कीं। पंजाब में आप के सह-प्रभारी जरनैल सिंह को उम्मीद है कि पार्टी अगले साल पंजाब में सरकार बनाएगी। जरनैल ने कहा, ‘पंजाब आप के लिए पूरी तरह मन बना चुका है। लोग बदलाव चाहते हैं और आप ही एकमात्र विकल्प है। दिल्ली के बाद आप की दूसरी सरकार पंजाब में बनेगी।’ पंजाब के बाद गोवा में चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी आप ने इस तटीय राज्य में अपने पक्ष में समर्थन जुटाने की पूरी कोशिश की। केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने यहां कई दौरे किये। पार्टी पंजाब और गोवा में लगभग अधिकांश विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। गुजरात में पटेल आरक्षण आंदोलन और दलित आंदोलन से घिरी भाजपा को घेरने के लिए केजरीवाल ने इस राज्य में कई दौरे किये और यहां विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया।

हालांकि दिल्ली के निगम चुनावों से पहले साल के अंत में आम आदमी पार्टी को एक बड़ी सफलता जरूर मिली है। आप ने मंडी समिति के चुनावों में 18 सीटों में से 14 पर जीत दर्ज कर कांग्रेस और भाजपा जैसी पार्टियों को पीछे कर दिया। दिल्ली नगर निगम चुनावों से पहले मंडी समिति के इन चुनावों को निगम चुनावों का सेमीफाइनल का जा रहा था। इन चुनावों में आप की बड़ी जीत ने एक बार फिर पार्टी में ऊर्जा का संचार कर दिया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button
Close