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आरकॉम के खिलाफ चीनी बैंक पहुंचा एनसीएलटी, याचिका दाखिल

मुंबई, 28 नवंबर (हि.स.)। चाइना डेवलपमेंट बैंक ने रिलायंस कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की है। रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को करीब 1.78 अरब डॉलर का कर्ज देने वाले चाइना डेवलपमेंट बैंक ने कर्ज भुगतान में चूक करने के बाद आरकॉम के खिलाफ नेशनल कॉरपोरेट लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के मुंबई पीठ में मामला दर्ज कराया है। हालांकि अनिल अंबानी की कंपनी ने भारतीय प्रतिभूति नियामक बोर्ड को सूचित किया है कि उसने इस संदर्भ में कोई सूचना प्राप्त नहीं की है।

बैंकिंग से जुड़े सूत्रों ने कहा कि भारतीय कर्जदाता चाइना डेवलपमेंट बैंक की याचिका पर आपत्ति जता सकते हैं । भारतीय कर्जदाता भी आरकॉम के साथ कर्ज निपटान योजना पर काम कर रहे हैं। चीन के डेवलपमेंट बैंक ने यह कदम भारतीय कर्जदाताओं द्वारा आरकॉम के 45,700 करोड़ रुपए के कर्ज को इक्विटी में बदलने के निर्णय लेने के बाद उठाया है। ऋणशोधन एवं दिवालिया संहिता के मुताबिक जब किसी कंपनी को एनसीएलटी में घसीटा जाता है और अदालत को याचिका में दम नजर आता है तो वह निपटान पेशेवरों की नियुक्ति करती है। इसके अलावा दोषी कंपनी के निदेशक मंडल को निलंबित कर दिया जाता है। इसके बाद निपटान पेशेवर कंपनी की परिसंपत्तियों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू करते हैं। आरकॉम के प्रवक्ता से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन इस मसले पर कोई टिप्पणी नहीं मिली। कोई अधिकारी ने जानकारी नहीं दी।

बताया जाता है कि चाइना डेवलपमेंट बैंक ने इससे पहले मई 2017 में आरकॉम-एयरसेल के विलय के खिलाफ भी एक याचिका दायर कर डिटेल मांगी थी। बैंक ने आरकॉम से पूछा था कि विलय के बाद कंपनी अपने कर्ज का भुगतान कैसे करेगी। हालांकि आरकॉम-एयरसेल विलय का सौदा तकनीकी कारणों व कानूनी अड़चनों के चलते नहीं हो पाया, जिसके बाद आरकॉम ने एनसीएलटी से विलय याचिका वापस ले ली थी। इसके अलावा 13 जून 2017 को भारतीय रिजर्व बैंक ने 12 बड़े कर्जदारों को आईबीसी के तहत निपटान के लिए एनसीएलटी में जाने के लिए चिह्नित किया था, लेकिन आरबीआई के निर्णय के कुछ दिन पहले 2 जून को ही आरकॉम को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुआई में कर्जदाताओं से रणनीतिक कर्ज पुनर्गठन योजना के तहत थोड़ी राहत मिल गई थी।

इसके तहत कंपनी को दिसंबर 2018 तक मूलधन और ब्याज देने से छूट दी गई। कर्ज पुनर्गठन योजना आरकॉम-एयरसेल विलय और ब्रुकफील्ड के हाथों दूरसंचार टावरों की 11,000 करोड़ रुपए में बिक्री पर आधारित थी। लेकिन दोनों ही सौदे नहीं हो सके। 30 अक्टूबर को आरकॉम ने कर्जदाताओं के पास एक संकल्प योजना (रिजोल्यूशन प्लान) के तहत अपनी 17 हजार करोड़ मूल्य की संपत्ति की बिक्री करने और 7,100 करोड़ रुपए के कर्ज को इक्विटी में बदलने की पेशकश की थी। इस बीच आरकॉम ने अपनी परिसंपत्तियीं एवं मोबाइल टावर्स बिजनेस को भी बेचने की नीति पर भी काम कर रहा था। इसके साथ ही कर्जदाताओं से कर्ज को इक्विटी में बदलने के लिए भी विस्तृत चर्चा की गई। आरकॉम कर्ज पुनर्गठन योजना के समय के शेयर भाव 24.71 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से कर्ज को इक्विटी में बदलने पर जोर दे रही है, जबकि कर्जदाता मौजूदा बाजार भाव के तहत बातचीत पर जोर दे रहे हैं।

सोमवार को आरकॉम का शेयर 13.35 रुपए पर बंद हुआ और 1 जनवरी से इसके भाव में करीब 61.6 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। कंपनी का बाजार पूंजीकरण 5,326 करोड़ रुपए रह गया है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण घरेलू दूरसंचार बाजार में वॉयस कॉल की दरों में भारी गिरावट आई है जिसकी वजह से टाटा टेलीसर्विसेज और आरकॉम जैसी कंपनियों को बाजार से बाहर होने को मजबूर होना पड़ रहा है। आरकॉम ने अपनी 2जी/3जी सेवाओं को पहले ही बंद करने का निर्णय ले लिया है, वहीं डायरेक्ट टु होम टीवी कारोबार को भी बेचना पड़ा है। वित्तीय लेनदार कंपनी चीनी डेवलपमेंट बैंक भी भारतीय व अन्य परिचालन लेनदारों एरिक्सन भारत लिमिटेड और मणिपाल टेक लिमिटेड के साथ आ गई है। यह कंपनियां पहले से ही इंसोल्वेंसी और बैंकरप्टसी (दिवाला और दिवालियापन कोड) कोड के तहत याचिका दाखिल कर चुकी हैं।

नेशनल ट्रिब्यूनल कोर्ट ने सभी कर्जदाता कंपनियों घरेलू बैंकों व उधारकर्ताओं की एक संयुक्त कमेटी गठित करने का निर्णय दिया है। यह कमेटी सभी कर्जदाता बैंको के साथ मिलकर कर्ज भुगतान के मसले पर ठोस उपाय खोजने का प्रयास करेगी। कमेटी 270 दिन में एक रिजोल्यूशन पारित कर कर्ज निपटान की समस्या का निराकरण का खाका पेश करेगी। 

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