आज से अनशन पर बैठे अन्ना हजारे , इस शर्त के साथ नयी टीम हुई शामिल …….
नई दिल्ली : अन्ना हजारे आज से रामलीला मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं। वो सरकार से छह मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर हैं। 2011 में अन्ना ने जन लोकपाल विधेयक पारित कराने को लेकर आंदोलन किया था। उस वक्त उनको मीडिया और जनता का काफी समर्थन मिला था। शुक्रवार से वो फिर से अनशन पर हैं, लोकपाल इस बार भी उनकी मांगों में शामिल हैं। अन्ना के आंदोलन से लोगों को जोड़ने के लिए 20 लोगों की कोर टीम बनाई गई है। इसमें देशभर से लोग हैं।
ये हैं अन्ना की टीम
ये है अन्ना की कोर टीम इस दफा अन्ना की कोर टीम में महाराष्ट्र से शिवाजी खेड़कर, कल्पना इनामदार, दिल्ली से कर्नल दिनेश नैन और मनिन्द्र जैन, राजस्थान से विक्रम तपरवाडा, कमांडर यशवंत प्रकाश, दशरथ कुमार, उड़ीसा से अक्षय कुमार, पंजाब से करनवीर थमन, उत्तर प्रदेश से प्रवीण भारतीय, सुनील फौजी, गौरवकांत शर्मा, राकेश रफीक, पीएन कल्कि, सुनील लाल शामिल हैं। उत्तराखंड से सुशील भट्ट, भोपाल सिंह चौधरी, कर्नाटक से राम नाईक, अरुणाचल से सेरिफ फल्गो, हरियाणा से नवीन जयहिंद को अन्ना की कोर टीम में शामिल किया गया है। 20 सदस्यों की कोर टीम के अलावा अन्ना ने देश भर में घूमकर 600 कार्यकर्ताओं की एक टीम तैयार की है।
अनशन में आने से रोककर किसानों को हिंसा की ओर ढ़केल रही है सरकार : अन्ना
ये हैं मांगे ……
ये हैं अन्ना की मांगे अन्ना हजारे ने केंद्र में लोकपाल, सभी राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति, सिटिजन चार्टर लागू करने और किसानों की समस्याओं लेकर ये आंदोलन शुरू किया है। अन्ना का कहना है कि सरकार के नियंत्रण वाले कृषि मूल्य आयोग, चुनाव आयोग, नीति आयोग या इस तरह के अन्य आयोगों से सरकार का नियंत्रण हटना चाहिए और उन्हें संवैधानिक दर्जा मिलना चाहिए। इसके अलावा ऐसे किसान जिसके घर में किसान को कोई आय नहीं है उसे 60 साल बाद 5000 हजार रुपए पेंशन दिलाने का सरकार प्रावधान करे। अन्ना ने अनशन से पहले मीडिया से कहा कि मैंने सरकार को 42 बार पत्र लिखा लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया, आखिरकार सरकार तक आवाज पहुंचाने के लिए मुझे अनशन पर बैठना पड़ रहा है।
इस शर्त के साथ नयी टीम शामिल ………
2011 में अन्ना ने रामलीला मैदान में जो आंदोलन किया था, उस आंदोलन को अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास, योगेंद्र यादव, किरण बेदी, प्रशांत भूषण ने संभाला था। इनमें से ज्यादातर लोग बाद में राजनीति में आए और सफल भी हुए। हालांकि इस बार अन्ना ने अपने आंदोलन में शामिल लोगों से एक एफिडेविट साइन करवाया है कि वो लोग कभी राजनीति में नहीं आएंगे।