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आज अपना 84वां जन्मदिन मना रहे हैं गुलजार , ये हैं उनकी जिन्दगी की कुछ रोचक बाते ……..

नई दिल्ली (18 अगस्त):  गुलजार का पूरा नाम है समपूरन सिंह कालरा है। गुलजार का आज ही के दिन 18 अगस्त 1934 में उनका जन्म हुआ था। बता दें कि आज वह अपना 84वां जन्मदिन मना रहे हैं। चलिए अब आपको गुलजार की जिंदगी के बारे में कुछ बताते हैं।

गुलजार ने ‘स्वामी विवेकानंद’ से करियर शुरू किया था, लेकिन उन्हें असल प्रसिद्धि 1957 में आई फिल्म ‘काबुलीवाला’ मिली। दिल छू लेने वाले शब्दों के इस्तेमाल से जज्बातों को सामने रखना ही गुलजार की ताकत है। बता दें कि 14 साल तक गीत लिखने के बाद 1971 में उन्होंने डायरेक्शन के क्षेत्र में कदम रखा। पहली फिल्म का नाम था ‘मेरे अपने’। उन्‍होंने एक बार कहा था कि वे पाकिस्‍तान में अपने पुश्‍तैनी घर और उसके आसपास कुछ समय अकेले बिताना चाहते थे, पर भीड़ की वजह से ऐसा नहीं हो सका।

कहा जाता है कि पाकिस्तान से लौटकर गुलजार बहुत इमोशनल हो गए थे। इतने कि वे किसी से ज्‍यादा बात भी नहीं कर रहे थे। गुलजार ने गवर्नमेंट हाई स्कूल से शुरुआती तालीम ली थी। गौरतलब है कि 2013 में जब गुलज़ार विभाजन के बाद पहली बार अपने घर (दीना में बसा घर) में आए तो घर को देखकर भावुक होकर रो पड़े थे।

दीना शहर पर गुलजार ने लिखा- ‘ज़िक्र झेलम हो बात हो दीने की, चांद पुखराज का रात पश्मीने की’ गुलजार ने बचपन का ज़्यादा समय दीना के उसी घर में बिताया था। यह घर और उसके साथ जुड़ी दुकानें आज भी हैं। बंटवारे के बाद गुलजार हिंदुस्‍तान आ गए थे। गुलज़ार का जन्म 18 अगस्त 1936 को दीना शहर, (पाकिस्तान) से तीन किलोमीटर दूर कुर्ला नामी गांव में हुआ था. कहा जाता है कि गुलज़ार के पिता मक्खन सिंह ने दीना के मुख्य बाजार में मकान और दुकान खरीदी थी।

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