आईआईटी कानपुर के कार्यवाहक निदेशक बने प्रो. मणींद्र अग्रवाल
कानपुर, 07 नवम्बर (हि.स.)। आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. इंद्रनील मन्ना का कार्यकाल पूरा हो गया है। कार्यकाल पूरा होने पर अब वह अपनी मूल संस्थान आईआईटी-खड़गपुर में सेवाएं देंगे। उनके स्थान पर कानपुर आईआईटी की कमान कार्यवाहक निदेशक के रूप में डिप्टी डायरेक्टर प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल देखेंगे। सोमवार को कार्यकाल पूरा होने पर निवर्तमान निदेशक प्रो. मन्ना को आज संस्थान के सभी शिक्षक व छात्र-छात्राओं के साथ स्टाफ ने विदाई दी।
आईआईटी में सोमवार को निदेशक प्रो. इंद्रनील मन्ना का अंतिम दिन रहा। वह रोज की तरह ही कक्षाओं में पहुंचे तो शाम को विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। शाम छह बजे प्रो. मन्ना ने निदेशक पद का कार्यभार डिप्टी डायरेक्टर प्रो. मणींद्र अग्रवाल को सौंप दिया। आज आयोजित कार्यक्रम में प्रो. मन्ना को विदाई दी गई।
प्रो. मन्ना ने बताया कि पांच साल के कार्यकाल में कई ऐसी चीजें रह गईं, जिन्हें वे पूरा नहीं कर सके। उनकी लगातार प्राथमिकता रही कि संस्थान को देश व विश्व स्तर पर कामयाबी दिलाई जा सके। प्रो. मन्ना के कार्यकाल में ही संस्थान में तीन नये डिपार्टमेंट शुरू हुए। उनमें अर्थ साइंस, कॉग्नेटिव साइंस व इकोनॉमिकल साइंस शामिल हैं। साथ ही प्रो. मन्ना ने ही ज्वाइंट पीएचडी प्रोग्राम शुरू कराया। उन्होंने बताया कि अब उनकी पूरी प्राथमिकता रिसर्च होगी। वर्तमान में आईआईटी-कानपुर व आईआईटी-खड़गपुर में संयुक्त रूप से लेजर में रिसर्च चल रहा है। इसमें आईआईटी कानपुर के 10 वैज्ञानिक व आईआईटी खड़गपुर के सात वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं।
तेजी से रिसर्च को प्राथमिकता दें
आईआईटी के कार्यवाहक निदेशक का कार्यभार संभालने के बाद प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा उनकी प्राथमिकता वर्तमान में चल रहे रिसर्च कार्यों को गति प्रदान करना है। इसके साथ ही छात्रों की हर समस्या का प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण किया जाएगा। उन्होंने कहा, जब तक स्थाई निदेशक की नियुक्ति नहीं हैं, तब तक संस्थान को ऊंचाई तक ले जाने का मेरा प्रयास रहेगा।
फिर से होगी रैगिंग मामले की जांच
आईआईटी कानपुर में हाल के दिनों में रैगिंग का मामला काफी चर्चा में रहा। इस मामले में प्रो. मन्ना अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले एक जांच समिति का गठन कर गए हैं, जो रैंगिंग मामले की फिर जांच करेगी। इस मामले में आईआईटी प्रशासन 22 छात्रों को दोषी मानते हुए निलम्बन की कार्रवाई भी कर चुका है। इसमें 16 छात्रों को तीन साल व छह छात्रों को एक साल के लिए निलम्बित किया गया है। पहली बार हुई इतनी बड़ी कार्यवाही को लेकर छात्र व कुछ शिक्षक लगातार अपनी आपत्ति जता चुके हैं।